घूसखोर डिप्टी आंचलिया की जमानत याचिका हाईकोर्ट से खारिज,एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार

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अदालत ने कहा अभी सहअभियुक्तों की गिरफ्तारी बाकी

उदयपुर, 10 मार्च । राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने एक एनआरआई से घूस लेने के आरोपी आरपीएस जितेन्द्र आंचलिया और उसके दो सहयोगियों की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि मामला गंभीर है। इस मामले के दो सह अभियुक्तों की गिरफ्तारी शेष होने के साथ फारेंसिक लैब की रिपोर्ट आने तक आरोपियों को जमानत नहीं दी सकती।
न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने आरोपी जितेंद्र आंचलिया के साथ रिश्वत मामले में उसके सहयोगी रमेश राठौड़ तथा मनोज श्रीमाली की जमानत अर्जी संयुक्त रूप से खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 व धारा 284, आईपीसी की धारा 120 बी के तहत जांच जारी है। इनमें आरोपी जितेंद्र आंचलिया पुलिस उप अधीक्षक है, जिस पर पद का दुरुपयोग कर एक एनआरआई की भुवाणा स्थित भूमि को हड़पने की साजिश रच एक करोड़ 75 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है। आंचलिया पर यह भी आरोप है कि उसने एनआरआई की भूमि को लेकर उनके परिवार में चल रहे विवाद का फायदा उठाकर उसकी करोड़ों की कीमत कम कीमत पर अपने सहयोगी के नाम करा दी। जिसको लेकर शिकायत मिलने पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जयपुर से आई टीम ने पिछले महीने डिप्टी आंचलिया के अलावा उदयपुर के सुखेर थाने के तत्कालीन थानाधिकारी के अलावा रमेश राठौड (जैन) और मनोज श्रीमाली को गिरफ्तार किया था। शिकायतकर्ता ने सत्तर लाख रुपए की राशि दिए जाने संबंधी एक पर्ची भी एसीबी को सौंपी, जिसे जितेंद्र आंचलिया ने लिखा था। यह बात आरेापी आंचलिया भी कबूल कर चुका है और उसकी एफएसएल रिपोर्ट आना बाकी है। इधर, महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले में सह अभियुक्त लवलीना और अंकित मेवाड़ा की गिरफ्तारी शेष है। आंचलिया की ओर से उनके भाई यशवंत आंचलिया तथा उनकी मौसेरी बहन मोनिका मेहता के तर्क अदालत ने खारिज करते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।

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