कुलदीप बनाम राजस्थान राज्य केेस में राजस्‍थान हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

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राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में कई आरोपियों में से एक की जमानत याचिका खारिज की। उक्त आरोपी का नाम न तो एफआईआर में था और न ही उसके खिलाफ कोई आरोप लगाया गया।

न्यायालय ने कहा कि भले ही आवेदक ने पीड़ित पर वास्तव में और शारीरिक रूप से हमला करने में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया, लेकिन अपराध में अन्य तरीके से शामिल होने से उसकी भूमिका की गंभीरता कम नहीं हुई।

जस्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ऐसे मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि आवेदक ने मुख्य आरोपी सहित अन्य आरोपियों के साथ मिलकर पीड़ित पर तलवारों से हमला किया था, जब वह घर जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई।

हालांकि, आवेदक के वकील का कहना था कि आवेदक के कब्जे से कुछ भी बरामद नहीं हुआ, न ही आवेदक और कथित अपराध के बीच कोई सीधा संबंध दिखाने के लिए कोई ठोस सबूत था। इसलिए यह तर्क दिया गया कि आवेदक को जमानत दी जानी चाहिए।

न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि आवेदक हत्या की योजना बनाने में भागीदार था और वह मुख्य आरोपी के साथ अपराध स्थल पर उसकी बाइक पर भी गया था। इसके अलावा, वह अपराध स्थल के पास भी मौजूद था और घटना को सुचारू रूप से अंजाम देने के लिए उसने आसपास के माहौल पर नजर रखी।

न्यायालय ने आगे फैसला सुनाया कि सामान्य इरादे का प्रत्यक्ष साक्ष्य प्राप्त करना हमेशा कठिन होता है। इसलिए इसके अस्तित्व का अनुमान केवल आसपास के तथ्यों से ही लगाया जाना चाहिए, जो प्रस्तुत साक्ष्यों के मद्देनजर परीक्षण चरण में ही संभव था। इसलिए आवेदक के खिलाफ इतनी सारी प्रथम दृष्टया सामग्री के मद्देनजर, न्यायालय ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया।

न्यायालय ने कहा,

“आवेदक के संबंध में रिकॉर्ड पर रखी गई विशाल प्रथम दृष्टया सामग्री याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों के मद्देनजर, मेरा विचार है कि इस मामले में आरोप की प्रकृति और गंभीरता, याचिकाकर्ता को दी गई भूमिका और याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी तरह से स्थापित मामले को देखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किए जाने का हकदार नहीं पाया गया।”

केस टाइटल: कुलदीप बनाम राजस्थान राज्य

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