Khajoor Ki Kheti : शुष्क बागवानी के तहत अरब देशों से आयातित खजूर के पौधों की बागवानी जिले के टिब्बा क्षेत्र सूरतगढ़ की बारानी भूमि के किसानों को रास आ गई है। अभी जिले में 162 हेक्टेयर में खजूर उगाया जा रहा है। शुष्क बागवानी के तहत अरब देशों से आयातित खजूर के पौधों की बागवानी जिले के टिब्बा क्षेत्र सूरतगढ़ की बारानी भूमि के किसानों को रास आ गई है। अभी जिले में 162 हेक्टेयर में खजूर उगाया जा रहा है। प्रतिवर्ष अनुमानित उत्पादन 15625 मीट्रिक टन हो रहा है। यहां के खजूर की गुणवत्ता अधिक होने के कारण इसकी मांग पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के विभिन्न जिलों में है।
ऐसे करें तैयारी
पहले मिट्टी की जांच करवाएं। इससे वहां की भूमि की गुणवत्ता का पता लगेगा। खजूर की खेती (Khajoor Ki Kheti) के लिए मुख्यत पोटाश की जरूरत होती है। पौधे कतार में लगाएं और पौधे से पौधे की दूरी छह से आठ मीटर रखनी होती है। पौधे रोपने के साथ ही उर्वरक एवं खाद डालना जरूरी होता है। डीएपी, जिंक आदि 16 प्रकार की खाद डालनी होती है।
प्रति वर्ष 40 लाख रुपए तक का मुनाफा
गांव देईदासपुरा के किसान बद्रीनारायण शर्मा ने 28 बीघा खेत में 35 किस्म के करीबन 1200 पौधे लगा रखे हैं। जिनमें चार किस्में ऐसी हैं, जिनके पौधे टिश्यू कल्चर से तैयार किए गए हैं। पौधों को ड्रिप सिस्टम से पानी दिया जा रहा है। एक बीघा में डेढ़ से दो लाख रुपए आय हो रही है। प्रति वर्ष 40 लाख रुपए तक की आय होती है।
प्रति पौधा तीन हजार रुपए अनुदान
नेशनल कॉपरेटिव कंस्ट्रक्शन एंड डवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जयपुर की ओर से उद्यान विभाग की अनुबंध शर्तों के अनुसार अनुमोदित किस्मवार खजूर के टिश्यू कल्चर के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों पर किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान देय है।
राजेंद्र कुमार नैण, कृषि अधिकारी(उद्यान)
किसानों को सऊदी अरब व संयुक्त अरब अमीरात के खजूर की छह किस्में मेड्जूल, बरही, खुनैजी, अलइनसिटी नर व घनामी नर उपलब्ध करवाई जा रही है।
केशव कालीराणा, उप-निदेशक, (उद्यान) विभाग