सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह शर्त नहीं लगाई जा सकती कि दोषी को दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 357 के तहत सजा निलंबित करने के लिए दिए गए मुआवजे का 50% जमा करना होगा।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने टिप्पणी की,
“हमारा मानना है कि धारा 357 के उद्देश्य और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दिलीप एस. दहानुकर बनाम महिंद्रा कंपनी लिमिटेड [2007 (6) एससीसी 528] में इसके उल्लेख के साथ मुआवजे का 50% जमा करने की शर्त के अधीन सजा निलंबित करने का हाईकोर्ट का निर्देश उचित नहीं है।”
न्यायालय बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए निर्देश से व्यथित एक दोषी द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था कि उसे अपनी सजा निलंबित करने के लिए लगभग 2.8 करोड़ रुपये के मुआवजे का 50% जमा करना चाहिए। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात के अपराध के लिए चार साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
हाईकोर्ट की शर्त अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।