राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के मामले में बोले किरोड़ी लाल
“राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्र में बोली जाती है अलग-अलग बोली, ऐसे में राजस्थानी भाषा के लिए बने एक कमेटी”
“सभी बोलियों का अध्ययन हो और उसके बाद कमेटी के निर्णय के बाद राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए”
बुधवार को सदन में प्रोटेम स्पीकर की सीट पर बैठे किरोड़ीलाल ने राजस्थानी भाषा मे शपथ के लिए किया था मना
आज बोले- “हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत को ही आठवीं अनुसूची में किया है शामिल, ऐसे में राजस्थानी भाषा को भी आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने का किया जाए प्रयास”
“भागीरथ ने प्रयास किया तो गंगा आ ही गई, राजस्थानी भाषा के लिए प्रयास हो तो सफलता जरूर मिलेगी”
दौसा, 21 दिसंबर : वैसे तो राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन हाल ही में विधानसभा में शपथ के दौरान हुए वाकये के बाद एक बार फिर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग उठने लगी है हालांकि संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा नहीं होने के कारण विधानसभा में राजस्थानी भाषा में शपथ को मानता नहीं दी गई उसके बाद हिंदी या फिर अन्य भाषाओं में विधायकों द्वारा शपथ ली गई। इसी मामले को लेकर आज दौसा में भारतीय जनता पार्टी के नेता किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिले और यह भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल हो उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए और कमेटी राजस्थान की सभी बोलियां का अध्ययन करें और उसके बाद राजस्थानी भाषा को लेकर निर्णय करना चाहिए उन्होंने कहा कि राजस्थान में पूर्वी राजस्थान की तरफ ब्रज और ढूंढाड़ी बोली जाती है लेकिन मेवाड़ व मारवाड़ की तरफ मारवाड़ी बोली जाती है जबकि शेखावाटी की अलग बोली है ऐसे में इन सभी बोलियों का अध्ययन हो और राजस्थानी भाषा के लिए कमेटी बने जिसके बाद राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिए जाने का निर्णय होना चाहिए।