जयपुर, 12 दिसंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझुनू की सिंघानिया यूनिवर्सिटी की ओर से दी जाने वाली बीपीएड की डिग्री पर सवाल उठाया है। अदालत ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से शपथपत्र पेश कर बताने को कहा है कि क्या सिंघानिया विश्वविद्यालय अधिनियम विवि को विद्यार्थियों को बीपीएड की डिग्री देने की अनुमति देता है? और यदि विश्वविद्यालय के अधिनियम के तहत विवि को यह डिग्री देने का अधिकार नहीं है तो विवि प्रशासन किस आधार पर यह डिग्री दे रहा है। ऐसा होने पर क्यों ना उससे छात्रों के लिए मुआवजा वसूला जाए। इसके अलावा अदालत में मामले में राज्य सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस गणेश राम मीणा ने यह आदेश संगीता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से बीपीएड की डिग्री उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उसने पीटीआई भर्ती- 2018 में आवेदन किया था। परीक्षा में सफल होने के बाद राज्य सरकार ने उसे यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी कि एनसीटीई सिंघानिया विश्वविद्यालय की इस बीपीएड की डिग्री को मान्यता नहीं देता है। सुनवाई के दौरान अदालत ने विश्वविद्यालय का अधिनियम देखकर कहा कि एनसीटीई की मान्यता तो अलग बात है, विश्वविद्यालय के पास सिंघानिया विश्वविद्यालय अधिनियम-2007 के शेड्यूल के तहत भी बीपीएड की डिग्री जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। क्योंकि इस शेड्यूल में बीपीएड डिग्री का नाम ही नहीं है। विवि इस शेड्यूल में अंकित कोर्स ही संचालित कर सकता है।
2023-12-12