हाईकोर्ट सहित प्रदेश की बार एसोसिएशनों में चुनाव संपन्न

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जयपुर, 8 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देश पर शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सहित प्रदेश की करीब 250 बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव सम्पन्न हुए। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महासचिव पद सहित अन्य पदों के लिए 4660 मतदाताओं में से 4073 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इन मतों में से एक टेंडर मत भी था। वहीं दी बार एसोसिएशन जयपुर के चुनाव में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महासचिव सहित कार्यकारिणी के अन्य पदों के लिए 5473 मतदाताओं में से 4530 मतदाताओं ने मतदान किया। दी डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जयपुर में 1412 में से 1268 और सांगानेर बार एसोसिएशन में 356 में से 348 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व दी बार एसोसिएशन जयपुर में मतों की गणना शनिवार को सुबह दस बजे से शुरू होगी। मतों की गणना बैलेट पेपर को कंप्यूटर से स्कैन करने की प्रणाली से की जाएगी। ऐसे में दोपहर दो बजे बाद से परिणाम आने शुरू हो जाएंगे।

लोक अदालत कल, अब तक 10 लाख से अधिक मुकदमे सूचीबद्ध
जयपुर, 8 दिसंबर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2023 की आखिरी लोक अदालत शनिवार 9 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। राजस्थान हाईकोर्ट सहित प्रदेश की सभी अधीनस्थ अदालतों में आयोजित इस लोक का अदालत में अब तक 10 लाख से अधिक मुकदमे सूचीबद्ध किए गए हैं। वहीं इन मुकदमों की सुनवाई के लिए कुल 505 बेंचों का गठन किया गया है। सूचीबद्ध होने वाले मुकदमों में 6 लाख 64 हजार 736 मुकदमे प्री लिटिगेशन और 3 लाख 23 हजार 473 लंबित प्रकरण शामिल हैं।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि लोक अदालत का शुभारंभ राजस्थान हाईकोर्ट के एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव हाईकोर्ट परिसर, जयपुर में सुबह दस बजे करेंगे। इस लोक अदालत में राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, चेक अनादरण प्रकरण, धन वसूली, मोटर दुर्घटना मामले, लेबर विवाद, भूमि अधिग्रहण और राजस्व मामले सहित अन्य मामले रखे गए हैं। सदस्य सचिव ने बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मुकदमें का निस्तारण किया जाता है। जिसमें तो किसी पक्षकार की हार होती है और ना ही किसी पक्षकार की जीत होती है। ऐसे में प्रकरण का निस्तारण भी हो जाता है और दोनों दोनों ही पक्षकार अपने आप को जीता हुआ महसूस करते हैं। वही दोनों पक्षों की सहमति से मुकदमे का निस्तारण होने की चलते दिए गए फैसले की अपीलीय अदालत में अपील भी नहीं की जाती। जिससे मुकदमें का अंतिम निस्तारण हो जाता है और अदालतों में लंबित मुकदमों के भार में भी कमी आती है। उन्होंने बताया कि इस साल यह साल की चौथी लोक अदालत है। लोक अदालत को पक्षकारों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। गत 9 सितंबर को आयोजित तीसरी लोक अदालत में करीब 47 लाख मुकदमों का निस्तारण होने के साथ-साथ 12.63 अरब रुपए से अधिक की अवार्ड राशि जारी की गई थी।

व्याख्याता की वरीयता सूची में संशोधन के आदेश
जयपुर, 8 नवंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना कारण पुन: डीपीसी कर व्याख्याता की वरीयता में बदलाव करने के मामले में शिक्षा विभाग को कहा है कि वह वासुदेव के मामले में दिए फैसले के आधार पर व्याख्याता की वरीयता सूची में बदलाव करे। अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा है कि वह इस संबंध में विभाग के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश करे। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश लक्ष्मीनारायण सोनी की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 2015-16 में रिव्यू डीपीसी कर वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद पर पदोन्नति दी गई। जिसकी पालना में याचिकाकर्ता ने अंग्रेजी विषय के व्याख्याता पद का कार्यभार भी संभाल लिया। वहीं उसे व्याख्याता पद के वेतन भत्ते भी दिया जाने लगा। याचिका में कहा गया कि राजस्थान शिक्षा सेवा नियम, 1970 के नियम 24 के तहत गठित विभागीय पदोन्नति समिति ने पुन: नियमित डीपीसी कर याचिकाकर्ता की पूर्व की वरीयता सूची में परिवर्तन कर उसका चयन वर्ष 2017-18 में कर दिया। याचिकाकर्ता ने विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर वरीयता सूची में संशोधन की गुहार की, लेकिन उसे अनदेखा कर दिया गया। जिसके चलते याचिकाकर्ता को प्रिंसिपल पद की पदोन्नति से वंचित होना पडा। याचिका में कहा गया कि पूर्व की रिव्यू डीपीसी नियमानुसार कर याचिकाकर्ता को पदोन्नत किया गया था। वहीं बाद में उसे सुनवाई का मौका दिए बिना और बिना कारण ही पुन: डीपीसी कर उसकी वरीयता में बदलाव करना गलत है। नियमानुसार एक बार पदोन्नति की कार्रवाई होने के बाद कर्मचारी के चयन वर्ष में बदलाव नहीं किया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को तय करते हुए वरीयता में बदलाव करने को कहा है।

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