वॉइस सैंपल की अनुमति को लेकर हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह से मांगा जवाब

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जयपुर, 18 नवंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुडे मामले में वायरल हुई ऑडियो क्लिप को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना एसीबी को उनकी वॉइस सैंपल लेने की अनुमति दे दी जाए। जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की याचिका पर दिए। अदालत ने पूर्व में गत 22 जून को भी गजेंद्र सिंह को नोटिस जारी किए थे, लेकिन नोटिस की तामील नहीं हुई थी।
याचिका में अतिरिक्त महाधिवक्ता घनश्याम सिंह राठौड़ ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने गलत तरीके से एसीबी के प्रार्थना पत्र को खारिज किया है। निचली अदालत ने जिस आधार पर वॉइस सेंपल लेने के संबंध में एसीबी का प्रार्थना पत्र को खारिज किया है, वह प्रावधान ब्लड सैंपल और हैंडराइटिंग के सैंपल लेने के मामले में लागू होता है। जबकि यह मामला वॉइस सैंपल लेने का है। जांच एजेंसी गिरफ्तार किए बिना भी वॉइस सैंपल ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट भी पूर्व में अन्य मामले में तय कर चुका है कि अनुसंधान एजेंसी को जरूरत होने पर वह संबंधित व्यक्ति की वॉइस सैंपल ले सकती है। ऐसे में निचली अदालतों के आदेश को रद्द करते हुए एसीबी को गजेन्द्र सिंह की वॉइस सैंपल लेने की अनुमति दी जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गजेन्द्र सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
गौरतलब है कि जुलाई, 2020 में तीन ऑडियो क्लिप वायरल हुई थी। जिसमें विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर बातचीत की जा रही थी। आरोप है कि इस ऑडियो क्लिप में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह और संजय जैन की आवाज है। ऑडियो क्लिप के आधार पर पहले एसओजी ने मामला दर्ज किया था। वहीं बाद में एसओजी की ओर से क्षेत्राधिकार के आधार पर एफआर पेश की गई थी। दूसरी ओर समान मामले में एसीबी ने भी संजय जैन, विधायक भंवरलाल शर्मा और गजेंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था। प्रकरण में एसीबी ने संजय जैन को गिरफ्तार भी किया था। इसके बाद निचली अदालत ने एसीबी को संजय जैन का वॉयस सैंपल लेने की अनुमति दी थी, लेकिन संजय ने सैंपल देने से मना कर दिया था। वहीं निचली अदालत ने गजेन्द्र सिंह का सैंपल लेने के लिए एसीबी की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ पेश रिवीजन को एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। राज्य सरकार की ओर से इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

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