रिपीट नहीं सरकार में सहयोग करने वालों को प्रोत्साहित करने की कवायद

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-कांग्रेस के सर्वे, फीडबैक, चुनावी आवेदन के दावे साबित हुए खोखले
-कांग्रेस परंपरागत तरीके से मौजूदा विधायक-मंत्रियों के भरोसे रिपीट का देख रही सपना
-कई जगह की रिपोर्ट में करीब 60 परसेंट मौजूदा विधायक-मंत्रियों की नाराजगी की बात आई थी सामने
जयपुर, 23 अक्टूबर (विसं) : टिकट वितरण के पहले कांग्रेस नेता क्रांतिकारी परिवर्तन का दंभ भरते नजर आ रहे थे। अलग-अलग पांच-छह सर्वे, ऑब्जरवर्स, पर्यवेक्षकों की टीम, वन टू वन संवाद, टिकट के लिए आवेदनों का दौर एवं पार्टी प्रोग्राम व योजनाओं में सक्रियता को मापदंड बनाकर टिकट देने का दावा किया जा रहा था, लेकिन शुरुआत की दो लिस्ट इसे चिढ़ाते नजर आ रही हैं। कांग्रेस के सारे दावे खोखले साबित हुए और उसने परंपरात तरीके से अपने मौजूदा विधायक-मंत्री पर ही ऐतबार किया। अब उन्हीं के माध्यम से रिपीट का सपना कांग्रेसी नेता देख रहे हैं। जबकि तमाम रिपोर्ट व फीडबैक में यह जानकारी सामने आई थी कि मौजूदा विधायक-मंत्रियों में से करीब 60 परसेंट के खिलाफ जनता में खासी नाराजगी है। इसके चलते यूथ, महिला, पूर्व सांसद सहित कुछ बड़े नामों को चुनावी मैदान में उतारना होगा। कांग्रेस की दो लिस्ट देखकर साफ लगता है कि वह रिपीट के लिए नहीं बल्कि गहलोत सरकार को पूरे पांच साल तक चलाने में सहयोग करने वालों को प्रोत्साहित व इनाम देना ही उनकी पहली प्राथमिकता है।
कांग्रेस की ओर से कई बार कहा गया कि पार्टी बड़े प्रयोग करेगी और जिताऊ पर ही दांव लगाएगी। प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, पर्यवेक्षक, ऑब्जरवर्स ने पूरा शहर नाप डाला, सर्वे रिपोर्ट व फीडबैक लेने में पसीना बहाया। सर्वे कंपनियों ने आधा दर्जन सर्वे रिपोर्ट दिल्ली भेजी। दिल्ली से अलग सर्वे कराया गया। जयपुर में वन टू वन संवाद कर विधायक-मंत्रियों को बताया गया कि उनकी क्षेत्र में स्थिति ठीक नहीं है, कम स्कोर हैं और इसके चलते मेहनत करो। वहीं गहलोत की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने एवं पार्टी प्रोग्राम में अधिक से अधिक भाग लेने वालों एवं यूथ को इस बार चुनाव में अधिक टिकट देने के तमाम दावे किए गए। अब यह सब खोखले व हवा-हवाई बातें नजर आ रही हैं। अब तो कांग्रेस कार्यकर्ता मायूस होने लगे हैं और सभी का कहना है कि जब यही करना था तो क्यों टिकट के लिए आवेदन लिए गए, क्यों सर्वे, फीडबैक आदि में समय व मेहनत खराब कराई गई।
सीएम गहलोत के हिसाब से टिकट वितरण
कांग्रेस की दो लिस्ट देखकर साफ लगता है कि इसमें पूरी तरह सीएम अशोक गहलोत की ही चली। पायलट उनका विरोध कर सकते थे इसके चलते उनसे पेचअप किया गया कि उनके समर्थकों को टिकट दिया जाएगा। इसके बाद खुलकर मौजूदा विधायक-मंत्रियों को टिकट देकर वह सारे फीडबैक हवा में उड़ा दिए, जिसमें तमाम चेहरे हारते हुए नजर आ रहे थे।
हाईकमान को चैलेंज करने वाले भी आएंगे नजर
हाईकमान को चैलेंज देने वाले शांति धारीवाल, महेश जोशी व धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनात्मक नोटिस मिला था। इन्होंने जवाब भी दिया, लेकिन अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ। इसी के चलते जब इन तीनों के नाम प्रत्याशियों की लिस्ट में दिखे तो सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी ने इसका विरोध किया। हालांकि जिस हिसाब से कांग्रेस में चल रहा है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में इन तीनों के नाम भी लिस्ट में नजर आएंगे। यानि सीएम गहलोत ही प्रदेश की अगुवाई व नेतृत्व करते नजर आ रहे हैं। हाईकमान भी उनके सुर में सुर मिला रहा है और शायद इसी के चलते पायलट फिलहाल मौन हैं।
भ्रष्टाचार, शिकवा-शिकायत, विरोध-प्रदर्शन सब दरकिनार
सीएम गहलोत की इसमें इतनी अधिक चल रही है कि जिन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए, कांग्रेस विधायक ही यह आरोप लगा रहे थे, धरने पर बैठे, बजरी माफिया तक कहा, बावजूद इसके पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया। इसके अलावा जयपुर से लेकर दिल्ली तक तमाम नेताओं को लेकर कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किए, लेकिन सब दरकिनार कर सीएम गहलोत ने उन सभी को टिकट देकर साफ कर दिया कि होगा वहीं जो वह चाहेंगे।
70 प्लस पर ऐतबार
कांग्रेस व राहुल भले ही यूथ का नारा बुलंद करते हैं, लेकिन उनका ऐतबार बुजुर्गों पर ही रहता है। इसी के चलते पार्टी ने दूसरी लिस्ट में 70 साल से ज्यादा उम्र के 10 नेताओं पर भरोसा जताते हुए उन्हें मौका दिया है। इनमें उदयलाल आंजना, बृजेंद्र सिंह ओला, सुखराम बिश्नोई, परसादी लाल मीणा, लक्ष्मण मीणा, सुरेश मोदी, डॉ. बीडी कल्ला, गुरमीत सिंह कुन्नर, विनोद कुमार चौधरी और डॉ. दयाराम परमार शामिल हैं।

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