मुंडावर विधानसभा चुनाव में भाजपा क्या हैट्रिक बन पाएगी ?

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मुंडावर मुंडावर विधानसभा चुनाव मे भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही चुनाव का बिगुल बज चुका है। जिससे एक बार फिर राठ की राजनीति हलचल शुरू हो गई है। क्षेत्र में चुनावी चर्चा जोरों पर है कि भाजपा एवं कांग्रेस के अलावा अन्य दलों से कौन से चेहरे मैदान में आ रहे हैं। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में ही होता आया है। लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा व बसपा के बीच मुकाबला होने के कारण इस बार भी अन्य दलों से आने वाले चेहरे का आने के बाद ही चुनावी चर्चा का बाजार गर्म होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

भाजपा क्या हैट्रिक लगा पाएगी— 1952 से ही कांग्रेस का गढ़ बना मुंडावर विधानसभा का भाजपा ने केवल तीन बार अपने जीत हासिल की है। मुंडावर विधानसभा से 1952 में कांग्रेस के घासीराम यादव निर्विरोध चुने गए थे। 1957 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर घासीराम यादव ने जीत हासिल की। उसके बाद 1962 एवं 1967 में हुए चुनाव में डॉ. हरिप्रसाद ने कांग्रेस का परचम फहराया। 1972 में भी कांग्रेस के ही रामसिंह यादव ने जीत हासिल की। 1975 के आपातकाल के बाद 1977 में बनी जनता पार्टी में जनता पार्टी से हिरालाल चौधरी ने कांग्रेस की जीत पर विराम लगाते हुए अपना परचम फहराया। जनता पार्टी में हुई फुट के चलते 1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस से घासीराम यादव ने एक बार फिर जीत हासिल की। 1985 में हुए चुनाव में जनता दल से महेंद्र शास्त्री ने जीत हासिल कर एक बार फिर कांग्रेस के गढ़ में सेंध करने में कामयाब रहे। 1990 के चुनाव में कांग्रेस से घासीराम यादव ने जीत हासिल की। 1993 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस से ही घासीराम यादव निर्वाचित हुए। 1998 में हुए चुनाव में भाजपा से डॉ जसवंत यादव विजयी रहे। सन 2000 में डॉ जसवंत यादव का सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा से धर्मपाल चौधरी ने जीत हासिल की। उसके बाद 1993 के आम चुनाव में भाजपा के धर्मपाल चौधरी ने एक बार फिर जीत हासिल की। उसके बाद 2008 के आम चुनाव में मेजरओपी यादव ने कांग्रेस से अपना परचम फहराया है। उसके बाद 2013 से भाजपा के धर्मपाल चौधरी एवं 2018 में भाजपा के ही मनजीत धर्मपाल चौधरी विजयी रहे। इस बार देखना है कि क्या भाजपा अपनी हैट्रिक बन पाएगी।

भाजपा की जीत के समीकरण– भाजपा का 2013 और 2018 में जीत का कारण जाट मतदाता के साथ-साथ राजपूत, गुर्जर, वैश्य, पुरुषार्थी एवं अन्य मतदाताओं का गठजोड़ रहा।

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