सिकराय विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है तो यहां के जातिगत समीकरण के आधार पर अनुसूचित जनजाति और और अनुसूचित जाति के मतदाता सबसे ज्यादा हैं। अनुसूचित जाति में भी बैरवा समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है। सिकराय विधान सभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या भी काफी होने के कारण डॉ किरोड़ी लाल मीणा का अपना प्रभाव है।
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने प्रभाव के चलते ही जब किरोड़ी लाल बीजेपी से नाराज थे राजपा से 2013 के विधान सभा चुनावों में गीता वर्मा को मैदान में उतारा था। गीता वर्मा चुनाव जीती व भूपेश तीसरे नंबर पर रही थी।
2018 के विधान सभा चुनावों में जातिगत समीकरणों के आधार पर बीजेपी के विक्रम बंशीवाल की जीत तय मानी जा रही थी लेकिन बीजेपी मीणा समाज के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाने के कारण भूपेश अपनी जीत दर्ज करवा पाई थी।
बीजेपी ने इस बार सिकराय क्षेत्र में डॉ किरोड़ी लाल मीणा द्वारा चुनाव प्रचार की योजना बनाई है ऐसे में यदि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का जादू चल जाता है तो भूपेश के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
समाज के वोट भी बंट जाएंगे दो धड़ों में
सिकराय विधानसभा में अनुसूचित जाति के मतदाताओं में बैरवा जाती के मतदाता सर्वाधिक होने के चलते बीजेपी भी अपना प्रत्याशी बैरवा समाज से ही उतारती है तो ऐसे में समाज के वोट भी जब दो धड़ों में बंट जाएंगे तो उससे भी ममता भूपेश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
गुर्जर मतदाता बिगाड़ेंगे समीकरण :
गुर्जर मतदाताओं में भी इस बार भूपेश को लेकर काफी नाराजगी बताई जा रही है। पायलट की बगावत के समय ममता भूपेश ने अशोक गहलोत का साथ दिया था और भूपेश का बाड़ेबंदी के दौरान बस में सफर करते हुए का वीडियो काफी वायरल हुआ था। हालांकि सुनने में आ रहा है ममता भूपेश सचिन पायलट को साधने के हर संभव प्रयास कर रही है। इन हालतों के चलते सिकराय विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर जातिगत समीकरण हावी रहते हैं प्रियंका गांधी की चुनावी सभा भूपेश के लिए कितनी कारगर साबित हो पाती है देखने का विषय होगा।