मातामह श्राद्ध का तर्पण किया, जलसरोवरों पर तर्पण के लिए भीड़ रही
जोधपुर। दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से जुड़े पितृ पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या शनिवार को मनाई गई। इसके साथ ही श्राद्ध संपन्न हो गया। श्राद्ध पक्ष गत 29 सितम्बर से आरंभ हो गए थे। सोलह दिवसीय पितृपक्ष में इस बार दस अक्टूबर को श्राद्ध नहीं था। पितृ पक्ष का समापन शनिवार को हुआ। इस अवसर पर आज अधिकांश जलसरोवरों पर तर्पण के लिए भीड़ रही।
आश्विन कृष्ण अमावस्या को पितरों की श्रद्धा से जुड़े श्राद्ध पक्ष का सर्व पितृ अमावस्या के रूप में समापन हो गया। शहर के जलाशयों पर पितरों के मोक्ष व शांति के लिए तर्पण किए गए। जातकों ने पदमसर तालाब, भूतनाथ, सिवांची गेट गड्डी, कायलाना आदि जलाशयों पर जल, दूध, तिल-जव के साथ अपने पूर्वजों को अंजलि दी। पदमसर तालाब पर पं वीरेन्द्रराज जोशी ने जातकों को तर्पण करवाया। वहीं भूतेश्वर महादेव मंदिर समिति की ओर से भूतनाथ के सरोवर में आयोजित तर्पण कर्म में शनिवार को सर्वपितृ अमावस्या पर जातको ने श्रद्धा से पितृ को तर्पण किया तथा समिति और जातको ने पंडित का सम्मान किया। कायलाना पर पं विजयदत्त पुरोहित द्वारा तर्पण कार्य करवाया गया जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने तर्पण किया। पुरोहित ने बताया कि पिछले करीब 29 वर्षो से निरन्तर कायलाना में तर्पण कार्य करवाया जा रहा है। वहीं श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को अंतिम तर्पण शिव दत्त की गड्डी में भी किया गया। जिसमें सभी ने अपने पितरों का तर्पण किया। बता दे कि श्राद्ध पक्ष गत 29 सितम्बर से आरंभ हो गए थे। सोलह दिवसीय पितृपक्ष में इस बार दस अक्टूबर को श्राद्ध नहीं था। पितृ पक्ष का समापन आज होगा। श्राद्ध की गणना श्राद्ध पक्ष में आने वाली तिथियां के अनुसार उस प्राणी की मृत्यु तिथि से माना जाता है। यदि किसी परिजन को अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध अमावस्या को किए जाने का शास्त्रों में वर्णन किया गया है।