संगठन से मोह भंग अब विधायक बनने का जुनून

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-कई पदाधिकारियों का जनाधार नहीं तो जमानत जब्त कराने वाले पदाधिकारी भी अब टिकट की रेस में

जयपुर, 12 अक्टूबर : किसी भी पार्टी व नेताओं को शिखर या अर्श पर ले जाने की भूमिका संगठन व उसके पदाधिकारियों की रणनीति ही तय करती है। अब जब प्रदेश की रिवाज-परंपरा है कि सत्ताधारी पार्टी रिपीट नहीं करती है, तो इस समय बीजेपी संगठन के दो दर्जन से अधिक पदाधिकारियों पर विधायक बनने का जुनून सवार है। इसके लिए वह संगठन को ताक में रखकर टिकट की जुगत लगाकर सत्ता में पहुंच लाल बत्ती पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। इससे संगठन का काम भी प्रभावित होगा, वहीं कुछ माह पूर्व संगठन विस्तार पर भी सवाल उठ रहा है कि चुनाव लडऩे के इच्छुकों को आखिरकार पदाधिकारी की जिम्मेदारी क्यों दी। आने वाले समय में जब पार्टी से यदि इन पदाधिकारियों का टिकट कटा तो यह बगावत पर उतरकर पार्टी के खिलाफ हो जाएंगे। जैसे सुजानगढ़ से भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष बीएल भाटी ने भी टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लडऩे की घोषणा की है।

संगठन की बागड़ोर प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के मजबूत हाथों में है, लेकिन नए प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी पर जातिवाद या अन्य प्रकार के डोरे डालकर कई ऐसे नेता संगठन में पदाधिकारी बन गए जिनके मन में चुनाव लडऩे का सपना पल रहा था। पहले तो यह पदाधिकारी के रूप में अपनी धाक जमाने एवं वरिष्ठों के संपर्क में आना चाहते थे ताकि बाद में जब टिकट का दौर शुरू हो, तो यह उस समय अपने मंसूबे साकार कर सकें। अब यही संगठन के पदाधिकारी पार्टी के लिए मुसीबत बनते नजर आ रहे हैं। हालात यह है कि यह संगठन से लेकर पार्टी नेताओं से अपनी टिकट के लिए उन पर प्रेशर बना रहे हैं। इससे अब संगठन परेशान है कि इससे उन नेताओं में गलत मैसेज जाएगा जो लंबे समय से अपने क्षेत्र में सक्रिय था। वहीं पदाधिकारियों को टिकट देने पर संगठन का काम भी बाधित होगा। यदि इन्हें टिकट नहीं दिया तो फिर यह बगावत पर उतारू हो जाएंगे। यानि अब बीजेपी के अंदर संगठन के पदाधिकारी ही एक बड़ी परेशानी बन रहे हैं। हालात यह है कि कई पदाधिकारियों का तो जनाधार तक नहीं है और पिछले चुनावों में कईयों की जमानत तक जब्त हो चुकी है।

संगठन विस्तार में लापरवाही
संगठन विस्तार के समय ही लापरवाही बरती गई वरना पहले जिम्मेदारी देने से पहले यह साफ कर लेना चाहिए था कि वह संगठन में काम करना चाहता है या फिर चुनाव लडऩे की इच्छा रखता है। इस पर ध्यान नहीं देने से अब बीजेपी संगठन के सामने विकट स्थिति पैदा हो गई है।

भरतपुर में निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन जब्त हो गई जमानत
संगठन के एक पदाधिकारी पूर्व में भरतपुर विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत जब्त करा चुके हैं। तीन हजार वोट भी हासिल नहीं कर पाए और अब जातिवाद व अपने संबंधों को भुनाते हुए फिर वहीं से दावेदारी कर रहे हैं। जबकि विधानसभा में ना तो जातिगत समीकरण है ना ही वहां सक्रिय हैं। यदि इन पदाधिकारी को टिकट मिला तो भरतपुर में लंबे समय से पार्टी का झंडा उठाने वाले निश्चित रूप से बगावत करेंगे।

यहां नए चेहरों पर दांव
मालवीय नगर, सिविल लाइंस, किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, सांगानेर, बगरू, चाकसू, जमवारामगढ़, शाहपुरा, विराट नगर में पार्टी इस बार नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। सिविल लाइंस से अरुण चतुर्वेदी दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी व उनके बीच हुई मीटिंग के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें कुछ आश्वासन दिया गया है, ताकि नाम कटने पर विरोध ना हो।

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