अबूझ सावे पर मतदान से हर कोई परेशान, चुनाव की तारीख बदलने की मांग

Share:-

जयपुर, 9 अक्टूबर (ब्यूरो): राजस्थान विधानसभा के चुनाव की तारीख और देव उठनी एकादशी के अबूझ सावे ने हिंदू समाज को मुश्किल में डाल दिया है। लोकतंत्र का उत्सव मनाए या अबूझ मुहूर्त में होने वाली शादियों में शरीक हो। धर्मगुरुओं की राय है चुनाव आयोग देवउठनी एकदशी के दो दिन बाद तारीख तय कर दे तो अच्छा रहेगा। इस संबंध में धर्मगुरू एकराय होकर धर्म सभा का आयोजन कर चुनाव आयोग तक अपनी बात पहुंचाने का निर्णय लेने वाले हैं।
गलता पीठाधीश्वर अवधेशाचार्य महाराज ने कहा कि देव प्रबोधिनी एकादशी पर चार माह बाद मांगलिक कार्य शुरू होंगे। इसमें सर्वाधिक संख्या विवाह की है। अकेले जयपुर में ही दस हजार से अधिक विवाह संपन्न होने का अनुमान है। एक विवाह से दौ सो लोगों का जुड़ाव मान ले तो यह संख्या लाखों में होती है। इसलिए चुनाव आयोग हिंदू धर्मावलंबियों की चुनाव की तारीख बदलने की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें। अखिल भारतीय संत समिति जयपुर संभाग के अध्यक्ष महंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि देव उठनी एकादशी हिंदुओं के लिए बड़ा त्योहार है जो अबूझ सावा भी है। अकेले इस दिन प्रदेश में एक लाख शादियां होनी है। घर, दुकान, प्रतिष्ठान के मुहूर्त भी है। पूरे दिन लोगों की व्यस्तता रहेगी। मंदिरों में भी आयोजन होंगे। अत्यधिक व्यस्तता के चलते चाहते हुए भी हिंदू सनातनी उस दिन वोट नहीं डाल पाएगा या वोट से दूर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि व्यस्तता की वजह से मतदान केंद्र नहीं पहुंच पाएगा। चुनाव आयोग को इस पर विचार कर इन तारीखों में बदलाव करना चाहिए।
विप्र फाउंडेशन ने लिखा चुनाव आयोग को पत्र :
विप्र फाउंडेशन ने देवउठनी ग्यारस 23 नवंबर को राजस्थान में विधानसभा चुनावों के मतदान को अव्यवहारिक बताते हुए चुनाव आयोग से मतदान तिथि पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशील ओझा ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को इस बाबत एक पत्र भेज कर कहा है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के शयन निंद्रा से जागृत होने का महान पर्व देव प्रबोधिनी एकादशी का महत्व सनातन धर्म में सबसे उत्सवी दिन माना जाता हैं। ओझा ने पत्र में चुनाव आयोग को जानकारी दी है कि देवउठनी एकादशी को अकेले राजस्थान में हजारों शादियां पहले से प्रस्तावित हैं, जिनमें लाखों लोग शामिल होंगे। शादी का शुभ लग्न भी दिन में ही हैं ऐसे में चुनाव आयोग की अधिकतम मतदान के प्रयासों पर भी विपरित असर पड़ेगा। शादी विवाह में विवाह स्थल, वाहनों आदि की बड़ी डिमांड रहती हैं। चुनाव आयोग के कई मतदान केंद्र विवाह स्थलों पर बने हुए हैं उनकी बुकिंग रद्द होगी।
पंजाब में बदली गई तारीख :
रामगंज बाजार स्थित प्राचीन श्याम मंदिर के महंत पं. लोकेश मिश्रा ने बताया कि देवउठनी एकादशी बाबा श्याम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाई जाती है। खाटू में बड़ा मेला होता है। लाखों की भीड़ खाटू में रहती है। इसके चलते वे वोट ही नहीं कर पाएंगे। पंजाब में चुनाव के दौरान बैसाखी पर्व को ध्यान में रखते हुए तारीख बदल दी गई थी। इसलिए इस विषय को गंभीरता से लिया जाए, अन्यथा लोकतंत्र का यह पर्व अधूरा रह जाएगा।
अखिल भारतीय टैंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि जिंदल ने कहा कि देवउठनी एकादशी पर राजस्थान में करीब 45 हजार शादियां हैं। करीब 15 लाख लोग टैंट-डेकोरेशन सहित अन्य कामकाज से जुड़े हैं। चार लाख तो टैंट व्यवसायी ही है। ऐसे में इस दिन वोटिंग होने से मतदान का प्रतिशत बहुत गिरेगा। चुनाव आयोग को तारीख बदलने पर विचार करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *