किसी जमाने में मारूत और हंटर सरीखे विमान होने के बावजूद ही दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाली भारतीय वायुसेना 8 अक्टूबर को 91 साल की हो जाएगी। हालांकि इतिहास तो इससे भी पुराना है, लेकिन 91वां वायुसेना दिवस इसलिए भी अहम है कि अत्याधुनिक विमानों व हथियार प्रणालियों से लैस होकर हमारी वायुसेना नए जोश ही नहीं, नए झंडे के साथ 91 साल की जवां वायुसेना के रूप में रविवार को नई अंगड़ाई लेगी। नौसेना के बाद वायुसेना को भी अपने 91वें स्थापना दिवस पर नया ‘इनसाइनिया’ (ध्वज संकेत) मिल रहा है।वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी संगम नगरी प्रयागराज में वायुसेना का नया इनसाइनिया जारी करेंगे। यह अंग्रेजों के जमाने की वायुसेना से आज की वायुसेना तक के सफर में अहम बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
नए झंडे में नया जोश
आजादी के बाद निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को तिरंगे और रॉयल एयर फोर्स राउंडल्स (लाल, सफेद और नीला) को इंडियन एयरफोर्स ट्राई कलर राउंडेल के साथ लगाकर ध्वज बनाया गया था। नए ध्वज के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट को शामिल किया गया है। क्रेस्ट के सबसे ऊपर अशोक चिह्न और इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। अशोक चिह्न के नीचे पंख फैलाए हिमालयी ईगल वायुसेना के सामरिक ताकत दर्शाती है। इसके नीचे वायुसेना का ध्येय वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ अंकित है।
वायुसेना ने कहा कि आज भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज किया जाएगा। इस ऐतिहासिक दिन पर, वायु सेना प्रमुख वायुसेना के नए ध्वज का अनावरण करेंगे।
मिग की आखिरी उड़ान
वायुसेना दिवस पर फ्लाई पास्ट इस साल प्रयागराज के संगम स्थल पर हो रहा है। इसमें मिग-21 सम्भवतः आखिरी बार शामिल होंगे। वायुसेनाध्यक्ष चौधरी ने गत दिनों कहा था कि अगले साल तक रूस में बने सभी मिग विमान प्रचलन से बाहर हो जाएंगे और इनकी जगह तेजस लेंगे।
47 साल पहले बदली तारीख
वायुसने 1976 तक एक अप्रेल को ही अपना स्थापना दिवस मनाती रही है। अंग्रेजों के जमाने में इसी दिन 1933 में पहली स्क्वाड्रन बनी थी। इसके बाद पहले भारतीय वायुसेनाध्यक्ष के रूप में सुब्रतो मुखर्जी ने भी एक अप्रेल 1954 को ही कार्यभार सम्भाला था, लेकिन 1976 से सरकार ने 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाने का फैसला कर लिया, क्योंकि इसी दिन 1932 में गवर्नर जनरल ने भारतीय वायुसेना अधिनियम 1932 को मंजूरी दी थी।