आपराधिक केस वाले की पीआईएल पर सुनवाई से इनकार, 10 साल बाद याचिका खारिज

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जयपुर, 4 अक्टूबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में कहा है कि जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ कई आपराधिक प्रकरण लंबित चल रहे हों और वह आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहा हो तो उसकी ओर से दायर जनहित याचिका का परीक्षण नहीं किया जा सकता। वहीं अदालत ने ऐसे व्यक्ति की ओर से दायर जनहित याचिका को दस साल बाद खारिज कर दिया। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश अशोक पाठक की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए।
अदालत ने कहा कि यह जनहित याचिका ऐसे व्यक्ति ने दायर की है, जो पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का है और याचिका दायर करते समय उसके खिलाफ चार आपराधिक प्रकरण लंबित थे। ऐसे में उसकी ओर से जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों का जनहित के आधार पर परीक्षण नहीं किया जा सकता।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 में जनहित याचिका दायर की थी। जनहित याचिका में अलवर के पूर्व राजपरिवार सदस्यों पर आरोप लगाया था कि वे अलवर के कुशालगढ में वर्ष 2005 में सीलिंग एक्ट में जब्त जमीन पर अवैध तरीके से होटल चला रहे हैं। इसके अलावा होटल चलाने के लिए बिजली विभाग ने भी उन्हें कम डिमांड राशि पर बिजली कनेक्शन जारी किया है। वहीं होटल में आबकारी कानून लाइसेंस लिए बिना ही शराब परोसी जा रही है। इसलिए सीलिंग एक्ट में जब्त जमीन पर अवैध तरीके से चलाए जा रहे होटल का संचालन बंद करवाया जाए। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अब खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के आपराधिक प्रवृत्ति का होने के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया है।

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