AAP PARTY MLA : मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे:CM केजरीवाल ने मंजूर किए; जैन 9 महीने से जेल में, सिसोदिया के पास थे 18 विभाग

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मनीष सिसोदिया 26-2-2023 को एरेस्‍ट तथा सत्येंद्र जैन 30-5-2022 को एरेस्‍ट किया गया था

दिल्ली में भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल सरकार के दो मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दोनों का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है।

सिसोदिया को जहां शराब नीति केस में CBI ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था, वहीं सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले साल 30 मई से तिहाड़ जेल में बंद हैं। सिसोदिया केजरीवाल सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री थे। उनके पास कुल 33 में से 18 विभाग थे। वहीं जैन के पास स्वास्थ्य, उद्योग समेत 7 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। इन्हें बाद में सिसोदिया को सौंप दिया गया था।

इधर, दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के 15 मिनट बाद भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, ‘हमें पता चला है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने 9 महीने के बाद जैन का इस्तीफा स्वीकार किया। सिसोदिया 18 विभाग देखते हैं। जब उन पर आरोप लगे तो सफाई देने के बजाय वो इन विभागों पर बैठे रहे।’

इस्तीफे में सिसोदिया ने शिक्षा मंत्री बनना सौभाग्य बताया
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे इस्तीफे में मनीष सिसोदिया ने लिखा- शिक्षा मंत्री के तौर पर मिली जिम्मेदारी शायद मेरे पिछले जनमों का कुछ पुण्य रहा होगा, जिनके फलस्वरूप मुझे इस जन्म में मां सरस्वती की सेवा का ऐसा महान अवसर मिला।

शराब नीति केस में CBI रिमांड पर हैं सिसोदिया
मनीष सिसोदिया दिल्ली की शराब नीति केस में फिलहाल 4 मार्च तक CBI की रिमांड पर हैं। CBI ने उन्हें 26 फरवरी को करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार यानी 27 फरवरी को उन्हें CBI की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने उन्हें 4 मार्च तक CBI की रिमांड पर भेज दिया था। CBI का आरोप था कि सिसोदिया सवालों का गोलमोल जवाब दे रहे हैं।

इधर, मंगलवार यानी 28 फरवरी को सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी और CBI के जांच के तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर फटकार लगाई और कहा कि आप हाईकोर्ट जाइए, सीधे हमारे यहां आने का क्या मतलब है। हम एक गलत परंपरा को बढ़ावा नहीं दे सकते।

क्या है वो कानून है, जिसके बूते केंद्र सरकार ने केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन को भेजा जेल

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय, यानी ED ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया। मंगलवार को CBI कोर्ट ने जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए 9 जून तक ED की हिरासत में भेज दिया।

सत्येंद्र जैन के खिलाफ ED ने ये कार्रवाई अगस्त 2017 में उनके खिलाफ सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI), द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के केस के तहत की है। पिछले महीने ED ने जैन परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की थी। 2018 में भी इस मामले में ED ने सत्येंद्र जैन से पूछताछ की थी। आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल का करीबी माना जाता है।

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग?

मनी लॉन्ड्रिंग बड़ी मात्रा में अवैध पैसे को वैध पैसा बनाने की प्रक्रिया है। सीधे शब्दों में कहें तो ब्लैक मनी को वाइट करने को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं। ब्लैक मनी वो पैसा है, जिसकी कमाई का कोई स्रोत नहीं होता, यानी उस पर कोई टैक्स नहीं दिया गया है।

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ऐसा लगता है कि पैसा किसी लीगल सोर्स से आया है, लेकिन वास्तव में पैसे का मूल सोर्स कोई आपराधिक या अवैध गतिविधि होती है। धोखेबाज इस प्रोसेस का इस्तेमाल अवैध रूप से इकट्ठा पैसे को छिपाने के लिए करते हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग पैसे के सोर्स को छुपाने की प्रोसेस है, जो अक्सर अवैध गतिविधियों जैसे ड्रग्स की तस्करी, भ्रष्टाचार, गबन या जुए से मिलता है। यानी अवैध तरीके से मिले पैसे को एक वैध स्रोत में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ही मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए ड्रग डीलर से लेकर बिजनेसमैन, भष्ट अधिकारी, माफिया, नेता तक करोड़ों से लेकर अरबों रुपए तक के फ्रॉड करते हैं।

क्या है हवाला ट्रांजैक्शन?

सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के मामले में ED ने कहा है कि जैन की कंपनियों को कोलकाता की शेल कंपनी से हवाला के जरिए पैसा मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि हवाला ट्रांजैक्शन क्या होता है?

हवाला ट्रांजैक्शन भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आता है। माना जाता है कि हवाला की शुरुआत साउथ एशिया में 8वीं शताब्दी के दौरान हुई थी। 1990 के दशक में भारत में हवाला ट्रांजैक्शन खूब चर्चा में रहा था। हवाला सिस्टम में दो पक्षों के बीच पैसों का लेनदेन उनकी ओर से स्थानीय एजेंट बिना बैकिंग सिस्टम को शामिल किए ही करते हैं।

यानी रुपये को दुनिया में एक जगह से दूसरी जगह अवैध रूप से ट्रांसफर करने को ही हवाला कहते हैं। इसमें एक रुपये भेजने वाला और दूसरा रुपये पाने वाला होता है और उनके बीच में कम से कम दो बिचौलिए होते हैं। इसके लिए न तो बैंकों की जरूरत है और न ही करेंसी एक्सचेंज की।

हवाला में सबसे अहम भूमिका एजेंट या बिचौलिए की होती है, क्योंकि ये बिचौलिए किसी लेनदेन का रिकॉर्ड नहीं छोड़ते हैं। यही वजह है कि हवाला के जरिए ट्रांसफर होने वाला रुपया कहां से निकल कर कहां पहुंचा, इसका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए हवाला का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर भ्रष्टाचार और टेरर फंडिंग तक में होता है।

अमेरिका का मानना है कि 9/11 हमले के लिए फंड जुटाने के लिए अलकायदा ने हवाला नेटवर्क का ही इस्तेमाल किया था। 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुबई में हवाला जैसे साधनों का इस्तेमाल कर अब भी विदेशी कामगार भारत, फिलीपिंस जैसे देशों में अपने परिवारों को पैसे भेजते हैं। उस साल इस तरह से दुबई से 240 करोड़ रुपए भेजे गए थे। इसकी वजह ये है कि हवाला से पैसे भेजने में लगने वाली फीस बैंकों द्वारा ली जाने वाली फीस से कम होती है।

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