उदयपुर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पीढ़ीगत काम करने वाले हस्तशिल्पियों, कामगारों की कला और हुनर में भारत की अर्थव्यवस्था के उन्नयन की क्षमता है। जरूरत इनके कौशल को निखारने और उन्हें आगे बढ़ाने की है। इसके लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की गई है। इस योजना में आगामी पांच साल में तेरह हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके लिए देश की 18 कलाओं को चिन्हित किया गया है।
देश भर की 18 विधाओं को चिन्हित
उन्होंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की जानकारी दी कि इस योजना में देश भर की 18 विधाओं को चिन्हित किया है। इसमें 13 हजार करोड़ रुपये का निवेश आगामी पांच वर्षों में किया जाएगा। कारीगरों और शिल्पगारों को केवल पांच प्रतिशत के ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे उन्हें कच्चा माल खरीदने और उसके वितरण में सहायता मिलेगी। इस योजना में उन्हें नई तकनीक से जोड़ने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें मानदेय दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद उसके व्यवसाय को चलाने के लिए टूलकिट खरीदने के लिए पन्द्रह हजार रुपये का संबल दिया जाएगा। इस योजना से उनके पीढ़ीगत काम को सरंक्षण मिलेगा।
स्वनिधि योजना का भी लाभ मिलेगा
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने का संकल्प लिया है। सामान्य मानवी के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की। इसी प्रकार की एक योजना केंद्र सरकार ने कोरोनाकाल में स्ट्रीट वेंडरों के लिए शुरू की थी। स्वनिधि नामक इस योजना से देश के लाखों स्ट्रीटवेंडरों को अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिली। केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों का आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना और स्वनिधि योजना में अधिक से अधिक कारीगारों को जोड़ें।