जोधपुर। मथुरादास माथुर अस्पताल में एक महिला की दुर्लभ सुपरास्टरनल डरमोइड सिस्ट की सर्जरी की गई।
करीब 22 वर्षीय महिला पिछले पांच सालों से गले के निचले हिस्से में गांठ की तकलीफ से परेशान थी। वह सर्जिकल आउटडोर में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के पास आई। डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने मरीज को देखकर मरीज को मथुरादास माथुर अस्पताल के फीमेल सर्जिकल वार्ड में भर्ती किया। महिला ने बताया कि वह पिछले पांच साल से इस गांठ से परेशान है और काफी जगह दिखाई लेकिन किसी ने भी ऑपरेशन की सलाह नहीं दी इस वजह से गांठ धीरे-धीरे बढ़ती रही और उसके गले में दबाव रहने लगा, खाना खाने में तकलीफ तथा कभी-कभी सांस लेने में भी परेशानी होने लगी। डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने मरीज की सभी जांच करवाई तब जांचों में पता लगा कि मरीज के गले के निचले हिस्से में डरमोइडसिस्ट नामक एक गांठ है। डरमोइडसिस्ट सर, गर्दन, फेस, आंख के चारों तरफ एवं अंडाशय में होती है। गर्दन के निचले हिस्से में जिसे सुपरास्टरनल रीजन कहा जाता है तथा स्टरनम के पीछे जिससे मीडियास्टाईनम कहा जाता है वहां पर इस प्रकार की गांठ अति दुर्लभ होती है।
डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की गांठ गले के नीचे वाले हिस्से में होती हैं, जहां पर आसपास की खून की नसों केरोटीड वेसल्स और इंटरनल वेसल्स आती है तथा साथ में गांठ ने थायराइड, गले में भोजन की नली तथा श्वास की नली को जकड रखा था और इसकी वजह से उन पर दबाव आ रहा था। इन सबको बचाकर छाती के पीछे से इस प्रकार की गांठ निकालना बहुत ही चैलेंजिंग होता है। इसका ऑपरेशन कडॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा के नेतृत्व में डॉ. अखिलेश गुप्ता डॉ. हेमंत कुमार, डॉ. किशन तथा एनेस्थेटिस्ट टीम में डॉ. शोभा उज्जवल, डॉ. गीता सिंगारिया, डॉ. भरत चौधरी , डॉ. आभास छाबड़ा, डॉ. बृजेश, नर्सिंग ऑफिसर इंचार्ज सलीम, हरीश चौधरी, सुमित्रा चौधरी, आदि ने किया। मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में निशुल्क हुआ है। अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित तथा मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. दिलीप कच्छावाह ने ऑपरेटिंग टीम को बधाई दी और उनके कार्य के सराहना की।
एमजीएच में किया तिल्ली का जटिल ऑपरेशन
जोधपुर। महात्मा गांधी अस्पताल में एक मरीज की तिल्ली का जटिल ऑपरेशन किया गया।
अस्पताल के गेस्ट्रो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश कुमार चौधरी ने बताया कि नागौर निवासी गुलशन का तिल्ली का आकार बड़ा होने से वह रक्त में हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट की कमी और मल में रक्त आने से पीडि़त थी। बार बार रक्त चढ़ाने के बावजूद रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती थी। जांच में यह नॉनसिरॉटिक पोर्टल फ़ायब्रोसिस नामक लीवर की बीमारी निकली, जिसमें लीवर का रक्त पहुंचाने वाली नलियों में रुकावट आ जाती है। इसके लिए प्रोक्सिमल सप्लिनो-रीनल शंट नामक सर्जरी की गई। तिल्ली को निकाला गया। किड्नी की रक्त की नली से वैस्क्युलर ऐनासटोमोसिस नामक विधि से जोड़ा गया। ऑपरेशन में डॉ. वन्दना और डॉ. शुभम शर्मा का योगदान रहा।
2023-09-20