गणेश चतुर्थी पर घर-घर बिराजे गणपति, हजारों गणेश प्रतिमाएं स्थापित, अनंत चतुर्दशी पर होगा विसर्जन, मंदिरों में दर्शनों के लिए लगी श्रद्धालुओं की भीड़
जोधपुर। विघ्नहर्ता गणपति महाराज का जन्मोत्सव यानि की गणेश चतुर्थी पर्व सूर्यनगरी में मंगलवार को धूमधाम व श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर मंदिरों के साथ घरों में भी भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की गई। मंदिरों में स्थापित गजानन को विभिन्न तरह की रत्नजडि़त पोशाक और सोने-चांदी के मुकुट धारण करवाए गए। गणेश मंदिरों में कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए। यहां दिनभर श्रद्धालुओं की दर्शनों के लिए भीड़ लगी रही।
शहर के प्रमुख गणेश मंदिर रातानाडा स्थित गणेश टेकरी, सोजती गेट स्थित गणेश मंदिर, इश्किया गजानंदजी मंदिर के साथ ही शहर के सभी गणेश मंदिरों पर गणेश चतुर्थी पर दिनभर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इसके साथ ही विभिन्न कॉलोनियों, मौहल्लों और व्यापारिक क्षेत्रों में शुभ मुहूत्र्त में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की गई जिनका अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन होगा। उत्सव को लेकर शहर में जगह-जगह आकर्षक पांडाल सजाए गए है। रातानाडा स्थित गजानन मंदिर में आज से नौ दिन तक चलने वाले महोत्सव की शुरुआत हो गई। चतुर्थी के दिन आज भगवान गजानन का पांच नई पोशाक और गहनों के साथ श्रृंगार किया गया। मंदिर में आज सुबह भगवान गणेश की महाआरती हुई। महोत्सव का आगाज ध्वजारोहण के साथ किया गया। इसमें भगवान गजानन का विशेष श्रृंगार के साथ 51 हजार सूखे मेवे से बने लड्डुओं का भोग लगाया गया। प्रगट गजानंद महाराज मंदिर में गणेश चतुर्थी पर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमडने लग गई। यहां भगवान गणेश और रिद्धि-सिद्धि का विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर में आकर्षक रोशनी की गई। सुबह संतों के सान्निध्य में आरती हुई। इसके बाद शुभ मुहूत्र्त में मंदिर पर ध्वजारोहण किया।
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यहां हुए धार्मिक कार्यक्रम
सोजती गेट गढ़ लंबोदर गणेश मंदिर व जूनी धान मंडी स्थित गुरु गणपति मंदिर में भी विशेष धार्मिक आयोजन किए गए। इसके अलावा भीतरी शहर में जूनी मंडी स्थित इश्किया गजानंद मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर, जूनाखेड़ापति हनुमान मंदिर में भी दिनभर भीड़ रही। विद्याशाला चांदपोल के पास सिद्धेश्वर गणेश मंदिर में विशेष सजावट की गई। गणेश महोत्सव समिति गणेश मंदिर गणेश चौराहा प्रताप नगर की ओर से गणेश चतुर्थी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। आयोजन समिति संयोजक सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि सुबह महाआरती कर प्रथम पूज्य को 201 किलो का एक लड्डू चढ़ाया गया। माता का थान मुख्य मार्ग पर चतुरावता का बेरा आवासीय बस्ती में शुभ मुहूर्त के साथ सुबह मंगलवार को गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। पेयजल व तालाबों को प्रदूषण से मुक्त रखने के उद्देश्य से शुद्ध मिट्टी की बनी गणेश प्रतिमा को चतुरावता बेरा आवासीय कॉलोनी के पंडाल में लगाया गया है। क्षेत्रीय निवासी जगदीश देवड़ा ने बताया कि सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पूजन व आरती कर प्रतिमा स्थापित की गई जिसमें स्थानीय लोगों ने भी गणेश वंदना के साथ पूजन कर मंगल कामना की।
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गोल बिल्डिंग चौराहा पर विराजे सिद्धि विनायक
अष्टधातू निर्मित 51 किलो वजनी गणेश प्रतिमा की स्थापना मंगलवार को गणेश चतुर्थी पर्व पर उमंग व उल्लास के साथ गोल बिल्डिंग चौराहा पर की गई। बड़ा रामद्वारा सूरसागर के संत कल्याणदास महाराज ने प्रतिमा की स्थापना की।
अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले इस गणेश उत्सव पर गणेश प्रतिमा की स्थापना से पूर्व खेमे का कुआं से प्रतिमा को जुलूस के रूप में गोल बिल्डिंग चौराहा पर लाया गया। इसके बाद विधि विधान के साथ गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। गणेश महोत्सव समिति के प्रवक्ता अरूण माथुर ने बताया कि गणेश उत्सव के दौरान प्रतिदिन धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे। गणेश प्रतिमा स्थापना पर पण्डित राजेन्द्र पुरोहित ने प्रतिमा की पूजा अर्चना की जिसमें समिति के संयोजक मुकेश लोढ़ा, ओमशक्ति संगठन के अध्यक्ष हेमराज शर्मा, दयाराम सियोटा, महेश भट्टड़, ओमप्रकाश सोनी, राजेन्द्र शर्मा, निरंजन चैधरी, देवीसिंह सोलंकी, सुधांशु टाक, अमृतलाल हलवाल, सुरेश प्रजापत, रमेश गोयल, प्रेमराज नानेचा, टीकमचंद चांदोरा, बाबूलाल गुंगावन, रामस्वरूप प्रजापत, नरपत रोपिया, छिनाराम प्रजापत व मुकेश लोढ़ा जूनियर आदि ने विधि विधान के साथ गणेश प्रतिमा की पूजा अर्चना की। इससे पूर्व खेमें का कुआं से पाल रोड़, 12वीं रोड चैराहा, पांचवी रोड चौराहा, चिल्ड्रन पार्क, प्रथम बी रोड सरदारपुरा होते हुए गणेश प्रतिमा को भुवनेश खनालिया, योगेश खनालिया, दीपेश चांदोरा, चिराग खनालिया, अंकित मालवीय, अजय सियोटा आदि जुलूस के रूप में लेकर गोल बिल्डिंग चौराहा पहुंचे यहां संत कल्याणदास महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गणेश प्रतिमा की स्थापना की।
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मूर्तियां खरीदने में दिखा उत्साह
गणेश महोत्सव को लेकर आज लोगों में जोरदार उत्साह दिखाई दिया। गणेश चतुर्थी पर मंगल मूर्ति की मूर्तियां घरों और मंदिरों में स्थापित करने के लिए शहर की सडक़ों और दुकानों पर भक्तों की भीड़ दिखाई दी। शहर के विभिन्न चौराहों व मुख्य सडक़ों पर बैठे कारीगरों से लोगों ने विघ्न विनायक की मूर्तियां खरीदी। गणेश भक्त जयकारे लगाते हुए अपने सिरों पर मूर्तियां रखकर ले गए।
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उच्छिष्ट गणपति के मंदिर में उमड़ी दर्शनों के लिए भीड़
किला रोड सिंघोडियों की बारी के पास महादेव अमरनाथ एवं नवग्रह मन्दिर के प्रांगण में स्थित उच्छिष्ट गणपति का मंदिर आज शाम खुला। यह गणेश चतुर्थी पर साल में एक बार ही दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है। मंदिर में उच्छिष्ट गणपति की मूर्ति स्थापित है जिसके दर्शन पट साल में केवल एक दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी गणेश चतुर्थी को सूर्यास्त पश्चात् ही खोले जाते है और दूसरे दिन सुबह पट बंद कर दिए जाते है। दावा किया जाता है कि भगवान गणेश की 52 मुद्राओं में से एक आठवीं मुद्रा के दर्शन यहीं पर होते हैं। दरअसल मंदिर 50 साल पुराना है। यहां भगवान अमरनाथ महादेव मंदिर के साथ इसी परिवार में नवग्रह और रावण का मंदिर भी है। 26 साल पहले इसी मंदिर में उच्छिष्ट गणपति के नाम से प्रतिमा को स्थापित किया गया था। इस प्रतिमा को रात के समय ही स्थापित किया गया था, तभी से इस मंदिर को साल में एक बार ही खोला जाता है और वह भी शाम से लेकर अगले दिन सुबह तक। शहरवासी भी यहां दर्शन के लिए साल भर का इंतजार करते हैं। इस बार भी भक्तों को दर्शन आज शाम सात बजे आरंभ हुए जो अगले दिन 20 सितंबर की सुबह 7 बजे तक ही होंगे। मंदिर के पंडित कमलेश दवे ने बताया कि इस प्रतिमा को 40 साल पहले बनाया गया था। इस प्रतिमा का निर्माण जयपुर में ब्रह्माशक्ति मूर्ति भंडार में करवाया गया था। इस प्रतिमा को स्थापित करने से पहले इसे तंत्र विद्या से प्रतिष्ठित किया जाता है इसलिए 14 साल तक इसे किसी ने हाथ नहीं लगाया। ये प्रतिमा उसी दुकान में रही, जहां इसे बनाया गया। 26 साल पहले पंडित शिवनारायण दवे उर्फ सरदारजी, प. काशीराम, पं. पुखराज दवे, पं. ज्वालाशंकर दवे, पं. महेश जोशी, पं. प्यारेलाल बोहरा, पं. श्रवणदत्त बोहरा ने मिलकर इसे तंत्र विद्या से प्रतिष्ठित किया गया। इस मंदिर के पट खोलने का तरीका भी अनूठा है। दर्शन से पहले मंदिर में चार घंटे तक पंडितों की ओर से विशेष पूजा अर्चना की गई। इस दौरान यज्ञ में 10 हजार आहूतियां दी गई। इसके बाद आह्वान कर इसे भगवान गणपति के दर्शन के लिए खोला गया। करीब बारह घंटे के बाद इस मंदिर के पट को दोबारा विधि-विधान से बंद कर दिया जाता है। पंडितों ने बताया कि इसके बाद सालभर इसके पट की कुंडी तक नहीं खोली जाती है। पंडित कमलेश दवे बताते हैं कि इस अनूठी मूर्ति के साथ भगवान गणेश की पत्नी रिद्धि हैं। वह भी उनकी सूंड में समाई हैं। उनकी दूसरी पत्नी सिद्धि को इस मूर्ति में शामिल नहीं किया गया है। इसलिए अपने आप में अनूठी इस प्रतिमा के फोटो और वीडियो पूरी तरह से बैन है। गणेश चतुर्थी के दिन भी दर्शन करने आने वाले भक्तों के मोबाइल बाहर रखवा लिए गए। उच्छिष्ट गणपति 51 गणपति नाम में से आठवें स्थान पर आते हैं और इसलिए यह सबसे पावरफुल फल देते हैं। कहा जाता है कि इनके दर्शन से व्यापार वृद्धि, विद्या, नौकरी, संतान और विवाह की बाधाएं भी दूर होती हैं। इस मूर्ति का ऐसा आकर्षण है कि जो इसका एक बार दर्शन करता है उसे कई दिनों तक स्मृति रहती है।
2023-09-19