उदयपुर, 13 सितम्बर(ब्यूरो): महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन ने बुधवार को 65 वें एकलिंग दीवान महाराणा अरिसिंह द्वितीय की 283वीं जयन्ती बुधवार को मनाई गई। सिटी पैलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मंत्रोच्चारण के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर दीप प्रज्जवलित किया गया। सिटी पैलेस भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों के लिए चित्र सहित ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा अरिसिंह जी का जन्म विक्रम संवात 1797(सन1740) को हुआ था। महाराणा राजसिंह द्वितीय के निसंतान होने के कारण महाराणा जगतसिंह द्वितीय के छोटे पुत्र अरिसिंह की विक्रम संवात 1817( सन 1761) को गद्दीनशीनी हुई थी।
महाराणा अरिसिंह के समय में होल्कर, सिंधिया व मराठों ने मेवाड़ पर कई आक्रमण किये। निरन्तर बाहरी आक्रमण एवं पारस्परिक गृह-कलह से मेवाड़ राज्य को बहुत हानि हुई, जिसका मरहटों ने बहुत लाभ उठाया। मेवाड़ की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने अमरचन्द बड़वा को मेवाड़ का प्रधानमंत्री नियुक्त किया। वि.सं. 1829 चैत्र कृष्ण एकम को बूंदी के राव अजीतंसिंह ने अमरगढ़ में शिकार के समय धोखे से महाराणा पर वार किया, जिससे वे वहीं मारे गये। महाराणा का दाहसंस्कार अमरगढ़ में ही किया गया। महाराणा ने अपने कार्यकाल में पिछोला झील में बंसी घाट, पीपली घाट(रूप घाट), अर्सी विलास का निर्माण कराया तथा एकलिंगगढ़ में तोप की स्थापना करवाई।
2023-09-13