कर्म के मर्म को भेद करने वाला महापर्व है पर्युषण : प्रफुल्लप्रभाश्री

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उदयपुर, 13 सितम्बर(ब्यूरो): यहां आयड़ तीर्थ पर साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के तहत धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि में श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के पर्युषण महापर्व के तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। पर्युषण महापर्व की आराधना दूसरे दिन प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने बताया कि पर्युषण लोकोत्तर पर्व है, आध्यात्मिक पर्व है, इसीलिए इसे हम श्रद्धा-भक्ति एवं पूर्ण निष्ठा से पर्वाधिराज कहते हैं। जिनेश्वर देव के आगम शास्त्र में अनेक पर्व प्रतिपादित किये गए है, किन्तु कर्म के मर्म को भेदित करने वाले भी पर्युषण महापर्व ही हैं। प्राणी मात्र का कल्याणकारक महापर्व पर्युषण है। यह पर्वाधिराज अष्टास्तिका पर्व के रूप में आता है। इनके करने ने जीवन में धर्म-जागृति आती है, भावात्मक पवित्रता आती है, जीवन जीवन्त बनता है। जैन का जैनत्व विकसित होना है।

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