कोटा रिवर फ्रंट उद्घाटन से सीएम के दूरी बनाने से उठे सवाल

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-प्रदेशभर में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म, कैबिनेट बैठक भी रद्द होने की सूचना
-गहलोत सरकार के विधायक भरत सिंह ने मुंडन कराकर खनन मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए सीएम को भी घेरा

जयपुर, 12 सितंबर (विशेष संवाददाता) : कोटा रिवर फ्रंट को लेकर पूरी गहलोत सरकार एवं कांग्रेस पार्टी खासी उत्साहित है, लेकिन देर रात्रि ट्वीट के जरिए उद्घाटन समारोह में सीएम गहलोत ने नहीं जाने की सूचना देकर खलबली मचा दी। साथ ही कोटा में होने वाली ऑक्सीजोन पार्क के शीशमहल में बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक भी रद्द होने की सूचना मिलने से प्रदेश में सियासी सवाल उठने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर गहलोत सरकार के विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मुंडन कराकर खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर गंभीर आरोप लगाते हुए सीएम गहलोत पर भी तीखे हमले कर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा दिया है। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी कोटा रिवर फ्रंट मामले को लेकर गहलोत सरकार पर करारे प्रहार करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही भ्रष्टाचार एवं सरकारी मापदंड़, गाइड लाइन के उल्लंघन के भी आरोप जड़े हैं। हालंाकि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पीसी में कोटा रिवर फ्रंट को एक मिसाल बताते हुए सीएम गहलोत के कार्यों की जमकर सराहना कर सारे आरोपों पर सिरे से खारिज कर दिया है।
यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल की महत्वाकांक्षी योजना कोटा रिवर फ्रंट के उद्घाटन में सीएम अशोक गहलोत सहित पूरी कैबिनेट कोटा पहुंचने वाली थी। सीएम अशोक गहलोत का प्रोग्राम भी अचानक रद्द हो गया तो उनके मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास व महेश जोशी भी कोटा नहीं गए। जबकि सभी मंत्री, विधायकों को निमंत्रण पत्र भी भेजे गए थे। वहीं सूत्र बताते हैं कि बुधवार को कोटा में होने वाली कैबिनेट की बैठक भी रद्द कर दी गई है। जिस योजना पर पूरी कांग्रेस इतरा रही थी उसके उद्घाटन प्रोग्राम से सीएम के दूरी बनाने से अब इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। सांगोद के कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने तो अपना मुंडन कराकर प्रदेश की सियासत गर्मा दी है। हालांकि इसके पहले भी विधायक भरत सिंह सीएम को पत्र लिख चुके हैं और खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ तो खुलकर लगातार बयानबाजी करते आ रहे हैं।
इस पूरे मसले पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि देर रात्र सीएम को ट्वीट कर कोटा दौरा रद्द करने की सूचना देना पड़ी। हजारों करोड़ के इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन से उनके दूरी बनाना इस बात का प्रमाण है कि रिवर फ्रंट का निर्माण सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के आदेश, एनजीटी की गाइडलाइन को दरकिनार रखकर हुआ है और इसी के चलते अचानक उन्होंने इससे दूरी बना ली। साथ ही कोटा में जनविरोध के कारण भी सीएम ने वहां जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। इसके पहले मंत्री अशोक चांदना ने भी सरकार के खिलाफ धरना दिया था और इसको लेकर सीएम व चांदना के बीच बहस भी हुई थी। बताया जा रहा है कि सीएम ने कानून एक्सपर्ट आदि से चर्चा करने उपरांत उद्घाटन समारोह में नहीं जाने का निर्णय लिया।
अजमेर के सेवन वंडर पार्क पर लटकी तलवार
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि कोटा रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में कई तरह की गड़बडिय़ां हैं। सरकार ने बगैर एनजीटी से पर्यावरण संबंधित मंजूरी लिए इसे शुरू कर दिया। इसे गैरकानूनी ढंग से निर्माण करवाकर सरकार चुनावी साल में वाह-वाही लूटने का काम कर रही है। अजमेर में भी एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाकर सेवन वंडर पार्क बनाया गया है, जिसे अब तोडऩे की कार्रवाई हो रही है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जताई थी आपत्ति
राठौड़ ने कहा कि एनजीटी, सेंचुरी को लेकर नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग कमेटी की गाइडलाइन, सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के निर्णयों और इको सेंसेटिव जोन होने के बावजूद कोटा रिवर फ्रंट में सभी गाइडलाइन को धत्ता बताकर सौंदर्यीकरण के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटाई गई है और सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया गया है। राठौड़ ने कहा कि चंबल घडिय़ाल सेंचुरी के बफर जोन में रिवर फ्रंट का निर्माण हुआ है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी राजस्थान के वन्य जीव विभाग को गत 1 जुलाई को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति जताई थी। कोटा रिवर फ्रंट को लेकर उठ रहे सवालों से साफ प्रदर्शित होता है कि इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और जनता के हजारों करोड़ रुपए बर्बाद किए गए हैं।
कांग्रेस सरकार का ईमान मर चुका
राठौड़ ने कहा कि जिस ईआरसीपी प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार पैसै नहीं होने का बहाना करती है, अगर सरकार की मंशा वास्तव में राज्य में ईआरसीपी लागू करने की होती तो कोटा रिवर फ्रंट में लगाए गए हजारों करोड़ रुपए अनावश्यक रूप से खर्च नहीं किए जाते। इससे अच्छा होता कि इन पैसों का उपयोग राजस्थान के विकास के लिए किया जाता ना कि सौंदर्यीकरण के नाम पर। भ्रष्टाचार में संलिप्त कांग्रेस सरकार का ईमान मर चुका है। राजस्थान में कांग्रेस की विदाई और भाजपा के सत्ता में आगमन के साथ ही सुशासन आएगा और राजस्थान के माथे से भ्रष्टाचार का कलंक मिटेगा।

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