25 साल की विवाहिता ने दो बच्चों को फंदे पर लटकाकर लगाई फांसी,पुलिस ने पति को लिया हिरासत में

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उदयपुर, 05 सितम्बर(ब्यूरो): जिले के ऋषभदेव क्षेत्र के भूधर गांव में 25 साल की विवाहिता के दो मासूम बच्चों को फंदे पर लटकाने के बाद फांसी लगाकर खुद की जान देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घटना के पीछे के कारण फिलहाल सामने नहीं आए हैं लेकिन पुलिस महिला के पति को हिरासत में लेकर पूछताछ में जुटी है।
मिली जानकारी के अनुसार घटना मंगलवार दोपहर की है। जब भूधर निवासी दामा मीणा घर से बाहर गांव में था तथा उसकी पत्नी दीपा (25) ने अपने 4 वर्षीय बेटे शंभू तथा 6 माह की मासूम बेटी गुड़िया को फंदे पर लटकाया तथा उसके बाद खुद ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पति जब घर लौटा तो तीनों के शव रस्सी से बने फंदे पर लटके देखे। आग की तरह घटना की जानकारी गांव भर में फैल गई तथा मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए। बताया गया कि दामा मीणा अहमदाबाद में मजदूरी करता था। काम नहीं मिलने पर वह परेशान था और गांव लौट आया था। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद ही खराब बताई जा रही है। पुलिस ने तीनों के शव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऋषभदेव की मोर्चरी में रखवाए हैं, जहां मंगलवार देर शाम तक उनके पोस्टमार्टम नहीं हो पाए।
पीहर पक्ष ने मांगा मौताणा
पुलिस ने बताया कि घटना की जानकादी दीपा के पीहर पक्ष को दी गई। जिस पर बिछीवाड़ा से बड़ी संख्या में उसके पीहर पक्ष तथा ग्रामीण भूधर आए। उन्होंने मौताणे की मांग की तथा तब तक पोस्टमार्टम कराए जाने से इंकार कर दिया। बताया गया कि पीहर पक्ष मौताणे की रकम के तहत 25 लाख रुपए की मांग कर रहा है। जबकि चर्चा है कि ससुराल पक्ष मौताणे की रकम के तहत 12 लाख रुपए देने पर सहमत हो गए हैं। मौताणा प्रथा अवैध होने के बावजूद पुलिस मामले में चुप्पी साधी है।
क्या है मौताणा
उदयपुर तथा मेवाड़—वागड क्षेत्र में आदिवासी परिवार किसी की मौत होने पर उसके लिए जिम्मेदार से मौताणा यानी मौत के बदल रकम की मांग करते हैं। मौताणे की राशि मिलने पर वह मामला दर्ज नहीं कराते। हालांकि मौताणे पर कई दशक पहले अवैध घोषित कर दिया गया था लेकिन अभी भी आदिवासी परिवार ही नहीं, बल्कि आदिवासी नेता यहां तक पुलिस तक मौताणे के जरिए मामले को सुलझाने में सहयोग करती है।

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