एसीबी जांच में सक्षम, सीबीआई में मामला भेजने की जरूरत नहीं

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जयपुर, 31 अगस्त। योजना भवन के बेसमेंट में मिले 2.31 करोड़ रुपए और एक किलोग्राम सोने के मामले की जांच सीबीआई से कराई के मामले में राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश किया गया। अदालत ने राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई तीन अक्टूबर को तय की है। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश रामप्रसाद शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने जवाब पेश कर याचिका खारिज करने की गुहार की। महाधिवक्ता की ओर से जवाब में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी ने जांच कर आरोप पत्र पेश किया है।

इसके बाद यह जनहित याचिका पेश हुई है। वहीं ईडी भी अपने स्तर पर प्रकरण की जांच कर रही है और एसीबी की जांच भी प्रभावी दिशा में हो रही है। इसलिए प्रकरण की जांच सीबीआई को भेजने का कोई औचित्य नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से अपना प्रति जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया। जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 3 अक्टूबर को तय की है। जनहित याचिका में कहा गया कि मामले में एसीबी ने एक अधिकारी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया है। जबकि प्रकरण में जब्त इतनी बड़ी राशि से साबित है कि इसमें अन्य अपराधी भी शामिल हैं। इसके बावजूद भी एसीबी ने उनके खिलाफ जांच ना कर अपनी पूरी जांच सिर्फ एक अधिकारी पर केंद्रीय कर चालान पेश किया है। आज तक पता नहीं चला की यह राशि यहां क्यों रखी गई। वहीं ईडी ने भी समान आरोपी को गिरफ्तार किया है। इसलिए प्रकरण की तह तक जाने के लिए इसकी जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार से जवाब तलब किया था।

गौरतलब है कि योजना भवन के बेसमेंट में रखी अलमारी से 19 मई को 2.31 करोड रुपए नगद व एक किलो सोना मिला था। वहीं जांच में दोषी पाए जाने पर 21 मई को अशोक नगर एसएचओ ने डीओआईटी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।

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