सत्ता के लिए BJP का यात्रा फॉर्मूला: 4 धार्मिक स्थल चुनने के पीछे की रणनीति

Share:-


राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा एक बार फिर राजनीतिक यात्रा निकालेगी। पार्टी 2 सितंबर से प्रदेश के चार बड़े धार्मिक स्थलों से परिवर्तन यात्रा शुरू करेगी।

यह संयोग ही है कि अब तक भाजपा केवल दो ही बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है और दोनों बार ही राजनीतिक यात्रा से ही कामयाबी मिली।

तो क्या इस बार भी यह फॉर्मूला काम करेगा? पिछली 2 यात्रा में चेहरा रहीं वसुंधरा राजे को इस बार कमान क्यों नहीं सौंपी गई? क्यों इस बार चार बड़े मंदिरों को चुना गया?

वर्ष 1990 और 1993 में भाजपा ने प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, लेकिन तब भाजपा को 200 में से अकेले दम पर 101 सीटों का पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।1998 के चुनावों में भाजपा बुरी तरह से हारी। कुल 36 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस ने वर्ष 1998 में 156 सीटें हासिल की थीं। अगस्त-2002 में शेखावत उप राष्ट्रपति बनकर सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। भाजपा के सामने पुन: सत्ता में वापसी करना एक बहुत बड़ी चुनौती थी।

2003 में परिवर्तन यात्रा, भाजपा को 120 सीटें मिलीं
भाजपा ने 2002 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और सांसद वसुंधरा राजे को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर राजस्थान भेजा। तब भाजपा ने राजे के नेतृत्व में जो यात्रा निकाली थी उसका नाम था परिवर्तन यात्रा। लगभग एक वर्ष तक प्रदेश की सभी 200 सीटों के इलाकों में यात्रा निकाली गई। दिसंबर 2003 में भाजपा को पहली बार 101 के जादुई आंकड़े से ज्यादा यानी 120 सीटें नसीब हुईं। इसके बाद भाजपा ने 2004 के लोकसभा चुनावों में भी 25 में से 21 सीटें जीतीं।

2013 में सुराज संकल्प यात्रा, रिकॉर्ड 163 सीटें मिलीं
वर्ष 2008 में भाजपा की हार हुई और कांग्रेस ने बिना पूर्ण बहुमत के भी सरकार बना ली। उस सरकार के खिलाफ वर्ष 2013 में भाजपा ने राजे के ही नेतृत्व में एक बार फिर सुराज संकल्प यात्रा के नाम से यात्रा निकाली। यह यात्रा प्रदेश की सभी 200 सीटों पर गई और दिसंबर-2013 में भाजपा ने राजस्थान में रिकॉर्ड बहुमत (163 सीट) हासिल किया। इसके बाद भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 2014 में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की।

इस बार बिना किसी को चेहरा बनाए यात्रा निकालने की रणनीति क्यों?
भाजपा चाहती तो किसी भी एक बड़े नेता या प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में भी यात्रा निकाल सकती थी। भाजपा ने सत्ता में आने के लिए यात्रा का पुराना फॉर्मूला तो अपनाया है, लेकिन उसकी रणनीति बदल दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार इस रणनीति के पीछे तीन बड़े कारण हैं।

1. पीएम मोदी पर भरोसा
भाजपा को यह विश्वास है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर देश की जनता भरपूर भरोसा करती है। पीएम मोदी हाल ही में राजस्थान के कई स्थानों पर सभा कर चुके हैं। उनकी सभाओं के प्रति आम लोगों में जबरदस्त आकर्षण है। ऐसे में चुनावों में पीएम मोदी के कामकाज और केंद्र की योजनाओं को लेकर जाना भाजपा को सुविधाजनक लग रहा है।

2. टकराव न हो इसलिए सीएम फेस नहीं
कोई भी राजनीतिक दल कितना भी अनुशासित हो, लेकिन अक्सर सीएम बनने के लिए पार्टी के भीतर भी कई बार बड़े नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बन ही जाती है। भाजपा ने यात्राओं की कमान किसी एक नेता को न सौंपकर पार्टी को ही सौंपी है।

ऐसे में अब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित किसी भी अन्य नेता के बीच सीएम बनने की होड़ खत्म सी हो गई है। अब अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा कि सीएम कौन बनेगा, कौन नहीं।

यात्रा के संयोजक डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने भास्कर को बताया कि इस बार यात्रा का कोई एक चेहरा नहीं है। केवल हमारी पार्टी और पीएम मोदी ही एकमात्र चेहरा हैं। यह किसी व्यक्ति विशेष की यात्रा नहीं बल्कि आम जनता और भाजपा की यात्रा है।

3. प्रदेश के 4 बड़े धार्मिक स्थल चुने, यहां से करोड़ों लोगों का सीधा जुड़ाव
भाजपा ने राजस्थान के चार बड़े धार्मिक स्थानों त्रिनेत्र गणेश मंदिर, बेणेश्वर धाम, रामदेवरा धाम और गोगामेड़ी से इन यात्राओं को शुरू करने का फैसला किया है। यह सीधे-सीधे करोड़ों लोगों की आस्था को छूने का प्रयास है। राजस्थान के करोड़ों आदिवासी, किसान, व्यापारी, दलित, सवर्ण आदि वर्ग-समुदाय के लोगों को जोड़ने के लिए यह एक कारगर कदम साबित हो सकता है।

कैसे कवर होंगी 200 विधानसभा सीटें?
भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक नारायण पंचारिया ने बताया कि 2 सितंबर को भाजपा की परिवर्तन यात्रा शुरू होगी। यह सभी 200 सीटों पर निकाली जाएगी। पार्टी आदिवासी, दलित, किसान, युवा और महिला वर्ग के लिए चौपाल लगाएगी। चौपाल में इन वर्गों से जुड़ी कांग्रेस सरकार की योजनाओं की विफलता को बताया जाएगा। भाजपा नेता आंकड़ों-तथ्यों के माध्यम से पिछले 5 वर्ष में पेपर लीक, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या जैसे मुद्दे उठाएंगे।

पहली यात्रा : 2 सितंबर से, जेपी नड्डा आएंगे
यह यात्रा रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) के त्रिनेत्र गणेश मंदिर से शुरू होगी। इस यात्रा को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्‌डा हरी झंडी दिखाएंगे। यह यात्रा सवाईमाधोपुर, जयपुर व भरतपुर क्षेत्र की मालपुरा, टोंक, निवाई, खंडार, बयाना, वैर, नदबई, लालसोट, चाकसू, बस्सी, जमवारामगढ़, विराटनगर, शाहपुरा, आमेर, कामां, देवली सहित कुल 47 विधानसभा सीटों को कवर करेगी। यह यात्रा 18 दिन चलेगी और लगभग 1847 किलोमीटर का इलाका कवर करेगी।

भारतीय समाज में शुभ काम की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से की जाती है।
सवाई माधोपुर, दौसा, करौली, टोंक, भरतपुर, जयपुर आदि जिलों से श्रद्धालु आते हैं।
इन क्षेत्रों में गुर्जर, मीणा, ब्राह्मण, बनिया समुदायों का इस मंदिर से जुड़ाव भी है।

दूसरी यात्रा : 3 सितंबर से, अमित शाह आएंगे
दूसरी यात्रा 3 सितंबर को बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर) से शुरू होगी। इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रवाना करेंगे। यह यात्रा 19 दिन में 2433 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए कुल 52 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। इसके मार्ग में डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों की विधानसभा सीटें शामिल हैं।

दक्षिण राजस्थान में आदिवासी समाज का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है।
उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही आदि जिलों के आदिवासी वोट बैंक पर नजर है।
तीसरी यात्रा : 4 सितंबर से, राजनाथ सिंह आएंगे
तीसरी यात्रा 4 सितंबर को रामदेवरा (जैसलमेर) से शुरू होगी। इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रवाना करेंगे। यह यात्रा सबसे बड़ा इलाका कवर करेगी। यह 18 दिन तक लगभग 2574 किलोमीटर चलेगी। इस यात्रा में जैसलमेर, जोधपुर, पोकरण, मेड़ता, डेगाना, शेरगढ़, बिलाड़ा, अजमेर, पुष्कर, नागौर सहित करीब 51 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा।

पश्चिमी राजस्थान में रामदेवरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है।
भाजपा यहां मेघवाल, जाट, कुमावत, माली जैसे बड़े वोट बैंक को साधने का प्रयास करेगी।
चौथी यात्रा : 5 सितंबर से, नितिन गडकरी आएंगे
चौथी यात्रा गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) से शुरू होगी। इसे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी रवाना करेंगे। यह 18 दिन तक चलेगी और 50 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। 2128 किलोमीटर चलने वाली इस यात्रा के मार्ग में बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर व अलवर जिलों की विधानसभा सीटें आएंगी।

लोकदेवता गोगा जी को उत्तरी राजस्थान में भगवान स्वरूप में पूजा जाता है।
राजपूत, जाट, किसान, पंजाबी, दलित सभी वर्ग के लोग लाखों की संख्या में पहुंचते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सन्नी सेबेस्टियन का कहना है कि यात्रा के दौरान हजारों-लाखों लोगों से राजनीतिक पार्टी और उसके नेता सीधे मिल पाते हैं। उनकी समस्या सीधे सुन व देख पाते हैं। वे ज्यादा आसानी से लोगों से कनेक्ट (जुड़ना) हो पाते हैं। जो काम यात्रा से किया जा सकता है, वो किसी चिट्‌ठी-पत्र या प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं किया जा सकता है।

पत्रकारिता व जन संचार विषय के प्रोफेसर रहे नारायण बारेठ का कहना है कि यात्रा एक बहुत पवित्र शब्द है। यह महात्मा गांधी और उससे भी बहुत पहले के जमाने होती आ रही हैं। मेरा मानना है कि आजकल जो राजनेता व राजनीतिक पार्टियां यात्राएं कर रही हैं, उनमें वो भावना व ऊंचाई नहीं है। फिर भी इसमें कोई संदेह नहीं कि यात्रा लोगों के पास जाने और उन्हें समझने का एक सशक्त माध्यम तो है ही।

राजनीतिक टिप्पणीकार प्रो. अजय शर्मा का कहना है कि राजनीतिक यात्रा से लोगों को लगता है कि कोई उन्हें सुनने, समझने, जानने उनके पास आया है। ऐसे में लोग अपना स्नेह वोट के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *