जयपुर, 25 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व आईएएस जीएस संधू, रिटायर आरएएस निष्काम दिवाकर, ओंकार मल सैनी और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता अशोक पाठक की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने इस एसएलपी को समान मामले में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ दायर एसएलपी के साथ नत्थी करने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 21 नवंबर को तय की है।
एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के गत 17 जनवरी के उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें हाईकोर्ट ने संधू सहित अन्य तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ केस वापस लेने की कार्रवाई को सही माना था।
मामले से जुडे अधिवक्ता ने बताया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को भी नोटिस जारी कर रखे हैं। याचिका में कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की एफआईआर को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। यह केस राज्य सरकार का केस है और भ्रष्टाचार के खिलाफ है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार केस को वापस लेना जनहित का नहीं है और इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। हाईकोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होते हुए भी राज्य सरकार की केस लेने की कार्रवाई को सही माना है। इसलिए हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि एसीबी ने 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की ओर से गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में धांधली व भ्रष्टाचार होने की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। जिसमें कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकार मल सैनी, निष्काम दिवाकर सहित गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल और विजय मेहता को आरोपी बनाया था।