जयपुर, 25 अगस्त। राजस्थान हाईकोर्ट ने आईएएस के पदों पर पदोन्नति के लिए गैर आरएएस सेवा के अधिकारियों का कोटा तय करने के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। खंडपीठ ने गत 7 जुलाई को पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को कहा था कि वह राज्य सरकार की ओर से पदोन्नति के लिए भेजे अफसरों के नामों पर आगे की कार्रवाई ना करे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट व उसके नियम-विनियम के तहत आईएएस सेवा के 66.67 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। वहीं अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल ही अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है। पूर्व में गैर आरएएस से पदोन्नत हुए आईएएस का पद खाली होने पर राज्य सरकार इस पद को गैर आरएएस को ही पदोन्नत कर भरती है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 17 फरवरी को सभी विभागों में पत्र भेजकर अन्य सेवाओं से आईएएस सेवा में पदोन्नति के लिए आवेदन मांगे और स्क्रीनिंग कमेटी ने अन्य सेवा के अफसरों का चयन कर पदोन्नति के लिए यूपीएससी को अपनी सिफारिश भेज दी है। वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने बताया कि राज्य सरकार आईएएस प्रमोशन नियम, 1954 के तहत इस तरह से प्रमोशन करती आ रही है। इस नियम के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार की राय से अन्य सेवाओं के विशेषज्ञ अधिकारियों की आईएएस पद पर नियुक्ति कर सकती है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
2023-08-25