जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर के निलंबन पर हाईकोर्ट ने रोक लग गई है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने रोक लगाते हुए कहा कि सरकार बिना प्राथमिक जांच किए मेयर का निलंबन नहीं कर सकती है। इस निलंबन में सरकार ने जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, वह पूरी तरह से गलत है। कोर्ट में मामले की पिछले दो दिन से सुनवाई चल रही थी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुनेश के वकील विज्ञान शाह ने कहा था- जिन आरोपों के आधार पर मेयर को निलंबित किया गया है, वे झूठे हैं। निलंबन में कहा गया है कि मेयर के पति सुशील गुर्जर ने उनकी उपस्थिति में 2 लाख रुपए लिए थे। वहीं एसीबी की एफआईआर में साफ-साफ कहा गया है कि 2 लाख रुपए दलाल नारायण सिंह के पास से बरामद किए थे।
जो 41 लाख 55 हजार रुपए कैश मेयर के घर से मिले हैं, वो उनके ससुर के हैं। एसीबी की कार्रवाई में मेयर के दर्ज बयानों में भी उन्होंने यहीं कहा था कि उनके पति प्रॉपर्टी का काम करते हैं। उन्होंने अपने पिता का वैशाली नगर वाला मकान बेचा था। यह पैसा उनके ससुर का है।
मेयर के ससुर नहीं रहते इनके साथ
सरकार की ओर से पैरवी करते हुए वकील एमएस सिंघवी ने कहा था- मेयर मुनेश गुर्जर के ससुर इनके साथ रहते ही नहीं है। ऐसे में उनके मकान का पैसा इनके यहां से मिल ही नहीं सकता है। सरकार की ओर से कहा गया कि मेयर हर फाइल में भ्रष्टाचार करने के लिए उसे कई-कई दिनों तक रोके रखती थी। कार्रवाई के दौरान इनके घर से 6 फाइलें बरामद हुईं। वहीं, जिस फाइल पर पट्टा बनाने की एवज में रिश्वत मांगी गई थी। वो फाइल भी मेयर के घर से ही बरामद हुई थी।
मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर और अन्य दो दलालों को पट्टे बनाने की एवज में रिश्वत लेते हुए एसीबी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर पद से निलंबित किया था।
मेयर के घर से मिले थे 40 लाख
एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने 4 अगस्त को जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर के घर छापा मारा था। टीम ने मेयर के पति सुशील गुर्जर और दो दलालों को गिरफ्तार किया था। सुशील पर पट्टे बनाने की एवज में 2 लाख रुपए की घूस मांगने का आरोप था। मेयर के घर सर्च में 40 लाख रुपए नकद मिले थे। जिन्हें गिनने के लिए नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी थी। इसके साथ ही एक दलाल के घर भी 8 लाख नकद बरामद हुए थे।