कहा— उदयपुर नगर प्रन्यास में शामिल कई गांवों के हालत पहले से बदतर हो गए
जिला कलक्ट्री पर किया प्रदर्शन
उदयपुर, 18 अगस्त(ब्यूरो): शहर के समीपवर्ती कई गांव उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) में शामिल नहीं होना चाहते। ग्रामीणों ने शुक्रवार को उदयपुर जिला कलक्ट्री पर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि कई गांव पहले नगर विकास प्रन्यास में शामिल किए गए लेकिन उनके हालात पहले से बदतर हो गए। यदि उनके गांव को यूडीए में शामिल किया गया तो उनके हालात भी बदतर हो जाएंगे।
उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) में शामिल गांवों को लेकर विरोध शुरू हो गया है। इन गांवों के पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों का तर्क है कि पहले जिन गांवों को यूआईटी के पेराफेरी में लिया गया उनकी सूरत भी आज तक नहीं बदली। विकास तो नहीं हुआ, लेकिन साथ ही वहां पंचायतों पर भी विकास करने के लिए परेशानियां खड़ी हो गई क्योंकि यूआईटी की एनओसी लेना मजबूरी हो गया था।
उदयपुर शहर से सटे गिर्वा व बड़गांव के करीब 24 गांवों को लेकर तो विरोध खुलकर सामने आया है। इस संबंध में जिला प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाई गई है और कहा कि इन गांवों को यूडीए से बाहर रखा जाए। उदयपुर ग्रामीण की पूर्व विधायक एवं गिर्वा प्रधान सज्जन कटारा एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सदस्य डॉ. विवेक कटारा ने दिए ज्ञापन में कहा कि उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की उदयपुर विकास प्राधिकरण के अंदर शामिल किए ग्राम पंचायत, गांव वालों का विरोध है। इसको लेकर इन नेताओं ने जिला कलेक्टरी के बाहर प्रदर्शन किया और उसके बाद जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। डॉ. विवेक कटारा ने कहा की उक्त ग्राम पंचायत के उदयपुर विकास प्राधिकारण में सम्मिलित हो जाने से यहाँ के ग्रामीणों को कई परेशानियों को देखना होगा और अतिरिक्त शुल्क भी देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इन गांवों में ज्यादातर आदिवासी निवासरत है।
ग्रामीणों ने बताई अपनी मजबूरियां
ग्रामीणों ने बताया कि पहले जब कुछ गांव यूआईटी की पेराफेरी में लिए गए तो वहां की खूबसूरती बदल गई। विकास की बजाय समस्याएं खड़ी हुई। गांव में जो सरकारी जमीन पर सरकारी बिल्डिंग से लेकर श्मशान घाट के लिए यूआईटी के चक्कर लगाते पड़े। पानी की टंकी बनाने के लिए भी एनओसी के लिए चक्कर ही लगाने होते थे। जमीनें तो यूआईटी संभाल लेती लेकिन गांवों का विकास नहीं किया जाता। यहां तक सड़क, नाली और पानी जैसी आवश्यक सुविधाएं तक ग्रामीणों को नहीं मिलती। पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि नाम के हो जाते थे और काम के लिए यूआईटी के चक्कर लगाते पड़ते। ऐसे में यदि यूडीए में गांवों को जोड़ा गया तो हालात पहले से बदतर हो जाएंगे।
गांव जिनके जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का विरोध
जिन गांवों के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने यूडीए में जाने का विरोध जताया, उनमें आम्बुआ, डेडकिया, आमदरी, उंदरी कला, उंदरी खुर्द, बारापाल, नयाखेड़ा, पीपलवास, कुम्हारिया खेड़ा, रामवास, पई, नोहरा, चौकड़िया, रायता, नयागुड़ा, पोपल्टी, फांदा, चांदनी, वरडा, मोरवानिया, धार, बडंगा, मानपुरा और पारोला शामिल हैं।
2023-08-18