जयपुर, 11 अगस्त। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के 176 नगरीय निकायों में 13,184 पदों पर हो रही सफाई कर्मियों की भर्ती में अनियमितता मामले में स्वायत्त शासन सचिव व निदेशक से 22 अगस्त तक जवाब मांगते हुए पूछा है कि क्यों ना इस भर्ती की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाए। इसके साथ ही अदालत ने याचिका की कॉपी एएजी को देने के निर्देश देते हुए उन्हें जवाब पेश करने को कहा है। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह आदेश संतोष कुमार व अन्य की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि पूर्व में सफाईकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया लॉटरी के जरिए की गई थी। वहीं इसको लेकर भर्ती नियमों में संशोधन कर लॉटरी के बाद वर्गवार साक्षात्कार का प्रावधान किया था। इस संशोधन को हाईकोर्ट ने भी स्वीकृति दी थी। वहीं अदालत ने लॉटरी प्रक्रिया को सही ठहराते हुए कहा था कि सफाई कर्मियों की भर्ती में न्यूनतम शिक्षा की जरूरत नियमों में नहीं है। ऐसे में केवल साक्षात्कार या अन्य माध्यम के जरिए भर्तियां होने पर इसमें अनियमितता या फर्जीवाड़ा होने की पूरी संभावना रहती है।
वहीं मौजूदा भर्ती की अधिसूचना जारी होने के बाद भी नियमों में बदलाव किया है। जयपुर नगर निगम की एक सफाई यूनियन के अध्यक्ष की मांग पर जलदाय मंत्री ने खुद को सफाई कर्मी संघ का संरक्षक बताकर स्वायत्त शासन विभाग से नियम बदलने की मांग भी की। जिस पर नियमों में मंत्री के कहे अनुसार आदेश जारी कर निकायों में संविदा पर नियोजित सफाई कर्मियों को भर्ती में वरीयता देने को कहा है। इसके साथ ही निजी घरों, होटलों, रेस्तरां, कार्यालयों, हॉस्पिटल आदि में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को अंतिम वरीयता देने को कहा है। जबकि ऐसा करना कानूनी तौर पर गलत है।
सफाई कर्मियों की यह भर्ती वर्ष 2018 के बाद हो रही है। जिसमें केवल साक्षात्कार व नाले की सफाई का कार्य करवाकर ही सेवा में लेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ऐसे में मौजूदा तरीके से हो रही सफाई कर्मियों की भर्ती में पूरी तरह से धांधली व भ्रष्टाचार होगा। इसलिए पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द किया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।