सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट, जिसने सीआरपीसी की धारा 202(1) के तहत खुद जांच करने का विकल्प चुना था, उसे धारा 203 सीआरपीसी के तहत शिकायत को खारिज करने से पहले शिकायतकर्ता और उसके गवाहों के बयानों पर विचार करना होगा।
इस मामले में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 323, 342, 500, 504, 506, 295-ए, 298, 427 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाते हुए एक आरोपी के खिलाफ मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की गई थी। सबसे पहले, मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 202 की उप-धारा (1) के तहत जांच करने का निर्देश देने वाला आदेश पारित किया।
केस डिटेलः दिलीप कुमार बनाम ब्रजराज श्रीवास्तव | 2023 आईएनएससी 670