जयपुर, 4 अगस्त। राजस्थान हाईकोर्ट ने सीकर के रींगस में नाबालिग पीडिता से गैंगरेप के मामले में एक साल से ज्यादा समय से अनुसंधान लंबित रखने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने सीकर एसपी से पूछा है कि जिले में एक साल की अवधि से अधिक के कितने मामलों में सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत अनुसंधान लंबित है। अदालत ने ऐसे मामलों का पूरा ब्यौरा और जांच में देरी के कारण 28 अगस्त को पेश करने को कहा है। वहीं अदालत ने कहा है कि यदि मौजूदा मामले में अनुसंधान पूरा नहीं हुआ है तो मामले के जांच अधिकारी भी केस डायरी के साथ पेश हों। जस्टिस उमाशंकर व्यास ने यह आदेश शंकरलाल की याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार ऐसे मामलों में अनुसंधान दो महीने में पूरा हो जाना अपेक्षित है, लेकिन मौजूदा मामले में एक साल से भी ज्यादा समय से अनुसंधान लंबित है।
याचिका में कहा गया कि पीडिता के साथ गत वर्ष सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। मामले में पुलिस ने एक आरोपी को ही गिरफ्तार किया है। जबकि दो आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर चल रहे हैं। वहीं पुलिस ने भी मामले में जांच लंबित रखी है। ऐसे में मामले का अनुसंधान जल्द पूरा करवाया जाए और पीडिता को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पुलिस अधीक्षक को दिशा- निर्देश जारी किए हैं।
वहीं दूसरी ओर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भीलवाड़ा में नाबालिग के साथ गैंगरेप के बाद भट्टी में डालकर हत्या करने के मामले में पीड़ित पक्ष को उचित सहायता देने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भीलवाड़ा को निर्देश दिए हैं।