जैसलमेर. जैसलमेर के नाचना के बाद मोहनगढ़ में नहरी क्षेत्र में 7800 बीघा जमीन का फर्जी तरीके से आवंटन का विभाग की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। जमीन के फर्जीवाड़े से जुड़ी गैंग के सदस्यों ने उपनिवेशन विभाग के अफसरों से सांठ-गांठ कर हजारों बीघा जमीन की पहले डिक्रिंयां जारी करवाई। इसके बाद नामांतरण से जमीन अपने नाम करवा दी। यह मामला प्रकाश में आने पर मोहनगढ़ तहसीलदार, भू-अभिलेख निरीक्षक समेत पांच कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया।
अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर के मोहनगढ़ उपनिवेषन क्षेत्र में फर्जी डिग्री जारी करवाने की शिकायत पर विभाग ने इस मामले की जांच करवाई। सहायक आयुक्त उपनिवेशन राजेश कुमार, सहायक राजस्व लेखाधिकारी श्रवणसिंह व सहायक प्रशासनिक अधिकारी महेन्द्र कुमार व्यास ने इस मामले में जांच की तथा एक जनवरी 2014 के बाद दर्ज नामांतरकरणों की सूची तैयारी की गई। जिसमें उपनिवेशन तहसील मोहनगढ़ नं. 1 में 23 और मोहनगढ़ नं. 02 में 49 प्रकरण डिक्री के दर्ज थे। इनकी गहनता से जांच की गई तो मोहनगढ़ नं. 1 में दर्ज 23 में से 19 में तहसीलदार ने बिना अपील के ही नामातंकरण दर्ज कर दिए। वहीं मोहनगढ़ नं. 2 में 49 में से 34 मामलों में ऐसा किया गया। इससे स्पष्ट है कि फर्जी हस्ताक्षर से पट्टे जारी किए गए थे। इसकी कुल जमीन 7 हजार 800 बीघा थी।
गौरतलब हैं कि जिले के नाचना व मोहनगढ़ में समरी सेटलमेंट की जमीन हथियाने के मामले में अब तक 10 से ज्यादा अधिकारी व कर्मचारी निलंबित हो चुके हैं। हालांकि उनकी मिलीभगत स्पष्ट रूप से सामने भी आई। लेकिन जो गैंग यह काम कर रही है उन तक अभी न तो पुलिस पहुंच पाई है और न ही उपनिवेशन विभाग। गैंग का एक भी सदस्य पकड़ में नहीं आया है। एक बड़ी गैंग सक्रिय है जो वहां रहने वाले लोगों के जमीनों के सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर उपनिवेशन की जमीन हथियाने का काम कर रही है। सिर्फ एक कागज के आधार पर फर्जी डिक्री जारी कर, पट्टा जारी कर आगे किसी को बेचने के लिए रजिस्ट्री तक करवा दी जाती है।
यह गैंग समरी सेटलमेंट के फर्जी कागजात तैयार कर जमीन पर हक जमाते हुए उपनिवेशन विभाग में अपील करते हैं। जहां अधिकारियों से मिलीभगत कर या फिर फर्जी हस्ताक्षर कर एक कागज के आधार पर पट्टा जारी करवा लेते हैं। कुछ दिन पूर्व विभागीय जांच के बाद मोहनगढ़ में 7800 बीघा जमीन के फर्जी मामलों को लेकर विभाग ने तहसीलदार हीराराम, पटवारी हवासिंह, चिमनाराम व मनोजकुमार तथा भू अभिलेख निरीक्षक नरेन्द्र कुमार निलंबित कर दिया।
राजेष विष्नोई सहायक आयुक्त उपनिवेषन एवं जांच अधिकारी ने इस संबंध में षिकायत के बाद आयुक्त उपनिवेषन के निर्देषों पर जांच कमेट गठित की गई थी। जांच के दौरान कई मामले फर्जी पाए गए और प्रथम दृष्ट्या तहसीलदार व चार अन्य कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। रेवेन्यू बोर्ड द्वारा इन्हें जांच रिपोर्ट के बाद निलंबित भी कर दिया है। अब इस मामले में विस्तृत जांच जारी है।
डिक्री जारी करवाने के लिए अभी भी यह गैंग तत्कालीन डीसी अरूण कुमार शर्मा व नरेन्द्रपालसिंह के हस्ताक्षरों का उपयोग कर रहे हैं। फर्जी हस्ताक्षर कर डिक्री जारी करने का सिलसिला चल रहा है जबकि ये अधिकारी 2013 से 2016 के बीच में यहां कार्यरत थे। मोहनगढ़ मामले में भी जारी सामने आई फर्जी डिक्रियों में इन्हीं अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर किए हुए हैं।