1200 बीघा सरकारी जमीन को अतिक्रमियों से मुक्त करवाया

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जैसलमेर के विष्वविख्यात गड़ीसर सरोवर के कैचमेंट क्षेत्र में सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर काश्त करने वालों के खिलाफ आज नगरपरिषद और नगर विकास न्यास ने साझा तौर पर कार्रवाई कर करीब 1200 बीघा जमीन सरकारी जमीन को अतिक्रमियों से मुक्त करवाया। इस कार्रवाई के दौरान जेसीबी की मदद से खेतों की चारदीवारी के लिए पट्टियां खड़ी कर उस पर हुई तारबंदी को उखाड़ा गया। इस दौरान मौके पर पुलिस जाब्ता मौजूद रहा। कार्रवाई को अंजाम देने वाले दस्ते की अगुआई नगरपरिषद आयुक्त लजपालसिंह सोढ़ा, जैसलमेर तहसीलदार निरभाराम और न्यास के तहसीलदार प्रेम शेरा ने की।

नगरपरिषद आयुक्त लजपाल सिंह सोढ़ा ने बताया कि गड़ीसर कैचमेंट क्षेत्र में 300 से 400 बीघा जमीन पर तारबंदी कर वहां अवैध काश्त किए जाने की शिकायतें मिलने पर जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक से आवश्यक सहयोग प्राप्त कर अतिक्रमण हटाए गए हैं। उन्होंने बताया कि तार को जब्त कर लिया है। भविष्य में इस जमीन पर अतिक्रमण नहीं करने के लिए संबंधित अतिक्रमियों को पाबंद किया गया है। आयुक्त के अनुसार सरकारी जमीन पर अतिक्रमणों और अवैध कब्जों पर कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।

असल में पिछले कुछ दिनों से गड़ीसर के कैचमेंट एरिया में बढ़ रहे अतिक्रमणों पर आखिरकार राजस्व, नगर परिषद व यूआईटी के अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। तहसीलदार निरभाराम कोडेचा व नगर परिषद आयुक्त लजपालसिंह सोढ़ा के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए करीब 1200 बीघा जमीन पर तारबंदी कर की जा रही अवैध खेती की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाया। गड़ीसर के कैचमेंट एरिया पर अतिक्रमियों की पिछले लंबे समय से नजर थी।

सूत्रों के अनुसार आमतौर पर तीनों विभागों के बीच सामंजस्य नहीं होने से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जाती थी। मौके पर पहुंचने पर एक विभाग द्वारा दूसरे तथा दूसरे विभाग द्वारा सरकारी जमीन तीसरे विभाग के अधीन होकर कार्रवाई नहीं की जा रही थी। सोमवार को राजस्व विभाग, नगर परिषद व यूआईटी की संयुक्त रूप से कार्रवाई में अतिक्रमण हटा दिया गया।

सूत्रों के अनुसार जैसलमेर शहर के आसपास इन दिनों जमकर अतिक्रमण किए जा रहे हैं। खुहड़ी रोड से लेकर यूआईटी द्वारा बनाई जा रही सड़क के आसपास फिल्हाल पत्थर डाले जा रहे हैं। वहीं कुछ जगह पक्के मकान बनाकर अतिक्रमण किया जा रहा है। अतिक्रमियों द्वारा पहले कच्चे निर्माण किए जा रहे हैं। इसके बाद कच्चे मकानों को पक्का बनाया जा रहा है। अगर इन विभागों द्वारा आपसी समन्वय से यह कार्रवाई नहीं की जाती तो गुलाबसागर की तरह ही गड़ीसर का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाता। इस क्षेत्र में पहले से ही अतिक्रमणों के कारण गड़ीसर की आवक पर प्रभाव पड़ गया है। अगर अब भी इस जगह अतिक्रमण हो जाता तो आने वाले समय में गड़ीसर में पानी की आवक पूरी बंद हो जाएगी। जिससे प्राचीन पेयजल स्त्रोत गड़ीसर तालाब का अस्तित्व ही खत्म हो जाता।

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