ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य स्थानों का वैज्ञाानिक सर्वे सोमवार सुबह सात बजे से शुरू होगा। रविवार देर रात जिलाधिकारी संग बैठक के बाद हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी। शुक्रवार को ही जिला जज की अदालत ने एएसआई को ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य स्थानों का वैज्ञाानिक सर्वे का आदेश जारी किया था। जज ने कहा था कि वैज्ञानिक जांच कर यह बताएं कि क्या मस्जिद मंदिर के ऊपर बनी है। शुक्रवार को सुनाए गए सात पन्ने के आदेश में कोर्ट ने एएसआई को 11 बिंदुओं पर सर्वे करने को कहा है। साथ ही निर्देश दिया गया था कि चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। सुनवाई भी इसी दिन होगी।
ज्ञानवापी में सर्वे के लिए सौंपी जाएगी अदालत के आदेश की प्रति
ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर शेष अन्य स्थानों के सर्वे से संबंधित जिला जज की अदालत के आदेश की प्रति सोमवार को हिंदू पक्ष की तरफ से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंपी जाएगी। साथ ही मुकदमे के अन्य प्रतिवादी उत्तर प्रदेश सरकार, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, पुलिस आयुक्त और डीएम को भी अदालत के आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाएगी।
बैठक से बाहर निकले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि डीएम और एएसआई की टीम के साथ बैठक में सर्वे की रूपरेखा तय की गई। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में एएसआई की टीम के अलावा वादी, प्रतिवादी और उनके अधिवक्ता भी मौजूद रहेंगे। सर्वे का काम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो, इसके लिए पुलिस और प्रशासन का हर तरह से सहयोग करेंगे।
कहा कि पिछले साल अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे के दौरान फोटो और वीडियो को लेकर अनावश्यक विवाद हुआ था। इस बार जिलाधिकारी से मांग की है कि सर्वे के दौरान सरकारी फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर लगाए जाएं। इससे किसी भी तरह से विवाद की नौबत नहीं आएगी।
ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे संबंधी जिला जज की अदालत के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। मसाजिद कमेटी का कहना है कि एएसआई से सर्वे का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है। याचिका पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति (प्रबंधन समिति, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद) द्वारा किए गए एक तत्काल उल्लेख पर सुनवाई के बाद आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान पीठ ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से दिए गए एक बयान पर भी ध्यान दिया कि वह कम से कम एक सप्ताह तक ज्ञानवापी स्थल की कोई खुदाई करने की योजना नहीं बना रहा है, हालांकि वाराणसी जिला कोर्ट ने यह निर्धारित करने के लिए ऐसी खुदाई की अनुमति दी थी कि क्या 16 वीं शताब्दी की मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर बनाई गई थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को एएसआई के रुख के बारे में सूचित किया जब ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। पृष्ठभूमि यह उल्लेख वाराणसी जिला न्यायालय के फैसले के संबंध में किया गया था, जिसमें 4 हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर एक आवेदन की अनुमति दी गई थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (वुजुखाना को छोड़कर) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था। उल्लेख प्रबंधन समिति, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी द्वारा स्थानांतरित किया गया था। इससे पहले, 12 मई को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ‘शिव लिंग’ का वैज्ञानिक सर्वेक्षण (आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके) करने का निर्देश दिया था, जो कथित तौर पर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाया गया था, ताकि इसकी उम्र का पता लगाया जा सके।
यह आदेश जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने वाराणसी कोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली 4 महिला हिंदू उपासकों द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया, जिसमें अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि यह प्रक्रिया वाराणसी जिला न्यायाधीश की देखरेख में की जानी चाहिए। एएसआई के संबंधित प्राधिकारी को संरचना की वैज्ञानिक जांच करने के लिए उचित निर्देश लेने के लिए 22 मई को ट्रायल जज के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था। मस्जिद समिति द्वारा दी गई चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर की वैज्ञानिक जांच को रोकने का निर्देश दिया।