लड़की के पिता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया है कि 26 मई को दोपहर करीब 3 बजे फोन आया कि दो लड़के टेम्पो से आपकी बेटी को ले जाने की फिराक में हैं। फोन करने वाला उनकी पहचान का था और मौके पर पहुंच गया। उसे देखकर दोनों लड़के भाग गए। बेटी ने बताया कि लड़कों के नाम उबैद और जितेंद्र है। उबैद ने पहले अपना नाम अंकित बताया था। दोनों आरोपी UP के रहने वाले हैं।
इस घटना के बाद से ही पुरोला में तनाव है। 30 मुस्लिम परिवार शहर छोड़कर चले गए हैं। 26 मई के बाद से एक भी मुस्लिम दुकानदार ने दुकान नहीं खोली है। हालांकि, मामले की जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ‘लड़की उन लड़कों को नहीं जानती थी। अब तक की जांच में लव जिहाद जैसा कोई एंगल नहीं आया है।’
पुलिस के मुताबिक, घटना के तुरंत बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ IPC की धारा 363 (किडनैपिंग), 366 ए (नाबालिग को अगवा करने) के अलावा पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। फिलहाल दोनों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं।
दुकानों पर ताला, शहर में सन्नाटा, धारा 144 के बावजूद जुटे बजरंग दल के कार्यकर्ता
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने घटना के विरोध में 15 जून को महापंचायत बुलाई थी। दावा किया गया कि इसमें उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों से हजारों लोग आएंगे। प्रशासन ने इससे पहले ही शहर में धारा-144 लगा दी।
पुरोला शहर में घुसते ही हमें सैकड़ों पुलिसवाले मेन मार्केट में फ्लैग मार्च करते दिखे। मार्केट की सभी दुकानों पर ताला और शहर में सन्नाटा था। 15 जून को दोपहर करीब 12 बजे पुरोला के सबसे बड़े मैदान में भीड़ जुट गई। महापंचायत इसी मैदान में होनी थी। खुद को बजरंग दल कार्यकर्ता बता रहे करीब 25-30 लोग धारा-144 लागू होने के बावजूद नारेबाजी करने लगे। पुलिस और प्रशासन की गाड़ियां भी आ गईं, पर प्रदर्शन कर रहे लोगों को न रोका गया, न हटाने की कोशिश हुई।