राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर विशेष :राजेश पायलट के “राम राम सा” की गूंज

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लोगों के दिलों में आज भी सुनाई देती है
वे कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराते थे, लोग उन्ही के होकर रह जाते थे
गरीब, मजदूर, किसान सबके घर जाते थे और उसे अपना बनाते थे
जातिवाद और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर क्षेत्र में करते थे काम
आज भी हर कोई लेता है उनका नाम

दौसा, 10 जून : आपने राम का नाम अभिवादन के रूप में, भगवान के रूप या फिर जयकारों में सुना होगा लेकिन दौसा जिले में राम का नाम भाषण समाप्त क्रनेवके बाद जनता का अभिवादन करते हुए आज्ञा लेने के लिए भी काम आता था। और यह राम राम सा इतना मशहूर हुआ की राजेश पायलट का पर्याय बन गया। आज जब भी कही भी राम राम सा किया जाता है तो किसान नेता राजेश पायलट की याद आ जाती है। एक राजेश पायलट ही ऐसे नेता थे जिन्होंने इस क्षेत्र में राम राम के पीछे सा लगा कर इस शब्द के साथ साथ अपने आपको सदैव के लिए लोगो दिलो में अमर कर दिया। “राम राम सा” कहते ही दिलो-दिमाग पर किसान नेता राजेश पायलट का चित्रण सामने आता है। भले ही किसान नेता राजेश पायलट इस दुनिया में अभी नहीं है लेकिन आज भी उनके द्वारा कहा जाने वाला “राम राम सा”लोगों के कानों में गूंजता है। 23 वर्ष पूर्व राजेश पायलट की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी तब वह भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री थे और दौसा के सिकराय और बांदीकुई क्षेत्र में कुछ कार्यक्रमों में भाग लेकर जयपुर एयरपोर्ट जा रहे थे जहां से वे हवाई जहाज के माध्यम से दिल्ली जाते लेकिन उससे पहले ही दोसा के भंडाना के समीप सड़क हादसे में केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की मौत हो गई। जैसे ही पायलट के हादसे की सूचना लोगों को लगी तो पूरे देश में शोक की लहर छा गई। दुर्घटना स्थल भंडाना में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। इस हादसे के बाद देश ने किसान नेता राजेश पायलट को खो दिया और अब रविवार को राजेश पायलट की 23वी पुण्यतिथि है। इस अवसर पर उनके स्मृति स्थल भंडाना में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा और इस कार्यक्रम में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता एवं राजेश पायलट के समर्थक मौजूद रहेंगे।
मूलत उत्तर प्रदेश के रहने वाले राजेश पायलट वायु सेना में पायलट के पद पर कार्यरत थे। पायलट रहते समय ही राजेश पायलट के गांधी परिवार से अच्छे संबंध हो गए। इसके बाद उन्हें भरतपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया गया लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद राजेश पायलट ने दौसा लोकसभा सीट को अपनी कर्म स्थली के रूप में चुना और उन्होंने दौसा लोकसभा सीट से 5 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और पांच बार ही उन्होंने चुनाव जीते। राजेश पायलट दोसा से कभी भी चुनाव नहीं हारे। राजेश पायलट के निधन के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी रमा पायलट दौसा से सांसद बनी और उसके बाद सचिन पायलट दौसा से सांसद बने। 2009 में जब दौसा की सीट एसटी के लिए रिजर्व हो गई तो पायलट परिवार को भी नई जगह तलाशनी पड़ी फिर सचिन पायलट ने अजमेर कार्यस्थली बनाया। लेकिन राजस्थान की राजनीति में सक्रिय होने व सीएम की दौड़ में शामिल होने के बाद वे विधानसभा का चुनाव टोंक से लड़े। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पिछले कुछ वर्षों से चल रही थी खींचतान के बीच 11 जून का दौसा में होने वाला कार्यक्रम पर पूरे देश की नजर है। पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि 11 जून को सचिन पायलट नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं लेकिन अब इन कयासों पर लगभग विराम सा लग गया है। क्योंकि उनके ही साथी विधायक मुरारी लाल मीणा और जीआर खटाना ने इन कयासों पर विराम लगाया है।

जैसे ही 11 जून का दिन आता है तो संपूर्ण दौसा जिले के साथ-साथ पायलट समर्थकों में उनके साथ बिताए पल, उनकी यादें, उनका दुर्घटना वाले स्थल का माजरा सब कुछ आंखों के सामने आने लगता है। आज भी लोग कहते हैं कि राजेश पायलट एकमात्र ऐसे नेता थे जो किसानों की बात हर जगह उठाते थे उनके निधन के बाद आज तक किसानों की मजबूती से बाद उठाने वाला कोई नेता पैदा नहीं हुआ। जब हमने 11 जून 2000 को उनके आसपास मौजूद लोगों से बात की तो तत्कालीन सिकराय विधायक महेंद्र मीणा उनके साथ गाड़ी में बैठे हुए थे और उनकी आंखों के सामने राजेश पायलट का एक्सीडेंट हुआ। वहीं वर्तमान में बांदीकुई विधायक और तत्कालीन राजेश पायलट के निजी सचिव जीआर खटाना भी फ्लाइट का टिकट देकर जयपुर एयरपोर्ट पर मौजूद थे और राजेश पायलट का इंतजार कर रहे थे तभी उन्हें इस हादसे की जानकारी मिली। भंडाना में भी हादसे के समीप खेत में काम कर रहे दिनेश शर्मा हादसा होते ही सड़क की ओर दौड़े तो देखा कि राजेश पायलट के सिर पर गंभीर चोट लगी हुई थी और उन्हें कुछ मिनट में ही आगे चल रही पुलिस की एस्कॉर्ट गाड़ी में डालकर जयपुर ले जाया गया। जहा दोराने उपचार चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित किया लेकिन वे राम राम सा के रूप में आज भी लोगो के दिलो में जिंदा है।

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