गहलोत की योजनाओं से रिवाज-परंपरा खतरे में, भाजपाईयों की भी उड़ रही नींद

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-गहलोत की स्ट्रेटजी के आगे भाजपाई धुरंधर धराशाही, जनता को बाद कर्मचारी भी सरकार के साथ
-गहलोत सरकार को घेरने में फिलहाल हो रहे असफल, नहीं सूझ रहा लोगों को अपने पाले में करने का उपाय

जयपुर, 8 जून : प्रदेश में पिछले 30 साल का रिकॉर्ड है कि यहां पर हर बार सत्ताधारी पार्टी को हारने उपरांत विपक्ष में बैठना होता है। किसी भी सरकार ने लगातार दो टर्म पूरे नहीं किए हैं। इसी आंकड़े, इतिहास, रिवाज व परंपरा को देखते हुए भाजपा सत्ता में काबिज होने का सपना देख रही है। पिछले दो माह में सीएम अशोक गहलोत ने जैसे ही टॉप गेयर डाला और भाजपा से इतने आगे निकल गए कि अब भाजपाईयों के पसीने छूटने लगे हैं। गहलोत ने अपनी योजनाएं और राहत के माध्यम से लोगों को अपने पक्ष में किया और मंगलवार को सरकारी कर्मियों को तोहफा देकर उन्हें व उनके लाखों परिवार को भी अपने साथ कर लिया। भाजपाई हैरान हैं और सिर्फ बयानबाजी तक सीमित होकर रह गए हैं। हालात यह है कि भाजपा नेता सीएम गहलोत की योजनाओं का उपहास उड़ा रहे हैं और इससे लोगों में उनकी नाकारात्मक इमेज बनने लगी है।

करीब दो माह पूर्व तक कांग्रेस-भाजपा में सीधी लड़ाई और संघर्ष की स्थिति नजर आ रही थी लेकिन अचानक सीएम अशोक गहलोत ने अपनी रफ्तार इतनी बढ़ा दी कि फिलहाल वह विपक्ष से कोसों दूर निकल गए। गहलोत लगातार जहां प्रदेश का दौरा कर लोगों से मिलकर उनकी सहानुभूति हासिल कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आम लोगों को अपनी योजनाओं से उनको महंगाई के दंश से बचाने में भी जुटे हुए हैं। सर्वविदित है कि प्रदेश ही नहीं देशभर के लोग महंगाई जैसी विकराल समस्या से जूझ रहे हैं। इसी के चलते गहलोत ने लोगों की इस नब्ज को समझा और स्टेडी कर उसी से राहत दिलाने का एक प्रकार से अभियान सा चला दिया है। पहले महंगाई राहत कैंप फिर बिजली फ्री और अब कर्मियों को तमाम तोहफा देकर उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश की है। अब जब आम लोगों के हर महीने यदि कुछ पैसा बचता है, तो निश्चित रूप से वह यह काम करने वाले के साथ ही खड़ा नजर आएगा। गहलोत की अचानक बड़ी लोकप्रियता को इस प्रकार समझे कि भाजपाई इस समय बस उनकी घोषित योजनाओं पर कटाक्ष करने में ही बिजी हैं। इससे लोग उनसे ओर दूर हो रहे हैं। इससे भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी खासा परेशान हैं और इसको लेकर दिल्ली में लगातार मैराथन बैठकों को दौर चल रहा है। भाजपा के लिए पूर्व सीएम भी परेशानी का कारण हैं और यदि उन्हें पार्टी ने आगे नहीं किया तो फिर इसका खामियाजा उन्हें हर हाल में भुगतना होगा।

कर्मचारियों को तोहफा देने के पीछे की मंशा
कर्मचारी आम लोगों तक सरकार की इमेज बनाने का सबसे बेहतर काम करते हैं। यदि वह संतुष्ट है, तो वह अपने परिवार सहित आम लोगों तक सरकार का गुणगान करते हैं। कर्मियों को तोहफा देकर गहलोत ने उनके साथ ही उनके लाखों परिवार को अपना मुरीद बना लिया। अब कर्मी जहां भी जाएंगे, जिनसे भी मिलेंगे वहां पर वह गहलोत सरकार का बखान ही करेंगे। यदि कोई सरकार की कमी निकालेगा तो यह इसका रिप्लाई कर सरकार की अच्छाई बताने का काम करेंगे। जब कोई सरकारी कर्मी अपनी सरकार की तारीफ करेगा तो लोग उस पर अधिक एतबार करेंगे। इसी के चलते गहलोत ने अपने कर्मियों को प्रसन्न कर एक प्रकार से उन्हें भी अपने प्रचार का जिम्मेदारी सौंप दी है।
ओर भी तोहफे मिलने की उम्मीद
सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि गहलोत अगले एक-दो माह में ओर भी तोहफों से लोगों को संतुष्ट करेंगे। इसमें पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करना, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय, वेतन बढ़ाना, आरक्षण में वृद्धि करना, गारंटी के तहत अनाज मुहैया कराना, परिवार की मुखिया महिला को हर महीने 2 हजार रुपए देना, बेरोजगारों को राहत देना, अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए स्वावलंबी बनाने के लिए भी कुछ कदम उठाने की बात कही जा रही है।

एक्सपर्ट की सोच
शोधकर्ता एवं राजनीतिक एक्सपर्ट भंवर सिंह कहते हैं कि यह सही है कि इस बार गहलोत ने राजनीतिक पार्टियों ही नहीं बल्कि सर्वे एजेंसियों एवं विशेषज्ञों को भी भ्रमित कर दिया है। प्रदेश के राजनीतिक हालात बदल रहे हैं और इस बार जो कांग्रेस हाशिए पर जाने की स्थिति में थी वह अब सत्ता में रिपीट होने की स्थिति में पहुंच गई है। लग रहा है कि सीएम गहलोत अपनी सरकार को रिपीट कराने के लिए अभी ओर भी कई दांव चलेंगे। इस समय भाजपा पूरी तरह सरेंडर की स्थिति में नजर आ रही है।

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