21 अक्टूबर 1962 की रात। अरुणाचल प्रदेश का किबिथू गांव। भारतीय चौकियों पर 300 चीनी सैनिक अचानक गोलाबारी करने लगे। किबिथू में भारतीय सेना की 6 कुमाऊं रेजिमेंट तैनात थी। उसने चीन की गोलीबारी का मजबूती से जवाब दिया। इस दौरान चीन के 60 से 70 सैनिक मारे गए। वहीं 4 भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए।
सेना ने सरकार से हवाई हमले की मदद मांगी, लेकिन उस वक्त सरकार ने इसका आदेश नहीं दिया। इसके बाद 6 कुमाऊं रेजिमेंट को वालेंग में पहुंचने का आदेश मिला। लिहाजा किबिथू में चीनी सेना घुस आई। हालांकि, 1962 का युद्ध खत्म होने के बाद चीनी सेना किबिथू से वापस चली गई थी।
गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को इसी किबिथू गांव में ‘वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम’ यानी VVP की शुरुआत की है। चीन को इस प्रोग्राम, यहां तक कि अमित शाह के दौरे से भी ऐतराज है।
केंद्र की मोदी सरकार ने चीन सीमा यानी LAC से लगे गांवों को डेवलप करने के लिए वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम शुरू किया है। इसके तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिलों के 46 ब्लॉक में 2,967 गांवों को चुना गया है।
सबसे पहले इस प्रोग्राम के तहत 662 गांवों को डेवलप किया जाएगा। इनमें से अकेले 455 अरुणाचल में हैं। इन गांवों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस प्रोग्राम का उद्देश्य न केवल आजीविका या जॉब की तलाश में इन गांवों से शहर में जाने वाले ग्रामीणों को रोकना है, बल्कि जो शहर चले गए हैं उन्हें भी वापस लाना है।
यह प्रोग्राम काफी मामूली लग सकता है, लेकिन यह पूर्वोत्तर में चीन की विस्तारवादी नीति का मुकाबला करने की सबसे अच्छी रणनीति में से एक है।
PM नरेंद्र मोदी ने भी इस योजना के महत्व के बारे में कहा था कि सीमा से सटे गांवों से पलायन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बुरा है और बजट में सीमावर्ती गांवों में सुविधाओं को बढ़ावा देने वाले प्रोविजंस शामिल किए जाएंगे।
केंद्र सरकार ने इस प्रोग्राम के लिए 4,800 करोड़ रुपए का फंड रखा है। इसमें से 2,500 करोड़ रुपए सिर्फ रोड कनेक्टिविटी के लिए हैं।
वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम से इन गांवों को कैसे डेवलप किया जाएगा?
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के मुताबिक, इन दूरदराज के गांवों से पलायन की वजह यहां पर जॉब जैसे अवसरों में कमी है। वह कहते हैं कि प्रॉपर इन्फ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसी सुविधाओं की कमी भी गांवों से पलायन की वजह बनती है।
आजीविका के कई प्रोग्राम्स को वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम में शामिल किया गया है। इनमें मधुमक्खी पालन, कृषि उपज में सुधार, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना शामिल है।
साथ ही इन प्रोग्राम्स को बाजार तक पहुंच भी प्रदान कराई जाएगी। पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा और पर्यटकों के लिए गाइड बनाने की ट्रेनिंग देना भी शामिल है।
CM पेमा खांडू कहते हैं कि हम स्थानीय लोगों को पर्यटकों के लिए होम स्टे शुरू करने के लिए लोन और ग्रांट दे रहे हैं। साथ ही स्थानीय लोगों को इसे चलाने के लिए प्रॉपर ट्रेनिंग दी जा रही है। किबिथू में और उसके आसपास ग्लैंपिंग को बढ़ावा देने की भी योजना है।
इन प्रोग्राम्स के अलावा एक महत्वपूर्ण काम इन दूरस्थ गांवों में 24 घंटे बिजली पहुंचाने का है। खांडू कहते हैं कि अगर राज्य की ग्रिड से इन गांवों में बिजली पहुंचाने में समस्या आएगी तो हम 5 से 100 किलोवाट बिजली पैदा करने वाले माइक्रो हाइडल पावर प्लांट बनाएंगे। हम बिजली पैदा करने के लिए सोलर पावर पैनल और विंडमिल्स भी लगाएंगे
अरुणाचल के डिप्टी CM चौना मीन ने बताया कि किबिथू को एक साल के भीतर आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाएं मिल जाएंगीं।
वह बताते हैं कि इस प्रोग्राम से रोजगार के बहुत सारे रास्ते खुलेंगे। हम स्थानीय लड़के-लड़कियों को मुफ्त में कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स की ट्रेनिंग देने की योजना बना रहे हैं।
ऐसे लोगों की स्किल्स को निखारने के लिए विशेष संस्थानों से उन्हें ट्रेनिंग दिलाई जाएगी ताकि वे वर्ल्ड क्लास के उत्पाद बना सकें।
चौना मीन बताते हैं कि लोहित नदी के दाहिने किनारे पर 4,281 फीट की ऊंचाई पर स्थित किबिथू में बागवानी और फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं।
किबिथू की वर्तमान जनसंख्या 2,000 से कम है और अधिकांश 320 परिवारों के दो या दो से अधिक सदस्य अरुणाचल या देश के दूसरे शहरों में रहते हैं। इस प्रोग्राम का लक्ष्य यह है कि कम से कम किबिथू के कुछ बेटे और बेटियां दो साल के भीतर अपने पैतृक गांव लौट आएं।