1940 से 50 का दशक, जब देश में सोने की कीमत औसतन 90 रुपए तोला थी। एक एक्ट्रेस थीं, जो उस जमाने में एक फिल्म के लिए 25 हजार रुपए फीस लेती थीं। नाम था पालिवई भानुमति रामकृष्ण। ये नाम आपने शायद पहले सुना ही ना हो, मगर ये भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे महंगी एक्ट्रेस रही हैं। इनकी फीस फिल्म के बजट का लगभग 50% होती थी। जो आज भी किसी फिल्म या एक्ट्रेस के लिए लगभग नामुमकिन है। 60 साल के करियर में भानुमति ने 97 तमिल-तेलुगु और हिंदी फिल्में कीं।
भानुमति पहली साउथ इंडियन एक्ट्रेस थीं जिन्हें 1966 में पद्मश्री से नवाजा गया। 60 साल के लंबे फिल्मी करियर में एक्ट्रेस, डायरेक्टर होने के साथ-साथ भानुमति सिंगर, फिल्म प्रोड्यूसर, म्यूजिक कंपोजर और नॉवेलिस्ट भी थीं।
प्यार में इतनी जुनूनी थीं कि इन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर से घर से भागकर शादी कर ली और बाद में उसके लिए देश का पहला फिल्म स्टूडियो तक खोल दिया। आज इनकी 98वीं बर्थ एनिवर्सरी है। जानते हैं इनकी लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स…
13 साल की उम्र में मिला फिल्म का ऑफर
भानुमति का जन्म 7 सितंबर,1925 को ओंगोल, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम सरस्वात्मा और बोम्माराजू वेंकट सुब्बैया था। वो माता-पिता की तीसरी संतान थीं। भानु के माता-पिता संगीत में पारंगत थे इसलिए इन्होंने बेटी को काफी कम उम्र में ही संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। मिडिल क्लास फैमिली में जन्मीं भानु बचपन से ही पिता को स्टेज पर परफॉर्म करते देखती थीं। संगीत के जरिए ही उनके फिल्मों में आने के रास्ते खुले। 1939 में उन्हें केवल 13 साल की उम्र में ही पहली फिल्म वर विक्रांतम का ऑफर मिल गया था।
उन्होंने 1939 में फिल्म वर विक्रमायम से तेलुगु सिनेमा में डेब्यु किया। इस फिल्म में भानुमति ने 13 साल की लड़की कालिंदी की भूमिका निभाई जिसकी एक बुजुर्ग आदमी से जबरन शादी करवा दी जाती है, जिसके बाद वह आत्महत्या कर लेती है। इसके बाद भानुमति मालती माधवम, धर्म पत्नी और भक्तिमाला जैसी फिल्मों में दिखीं, लेकिन उनकी सबसे सफल फिल्म कृष्ण प्रेम थी।
उनका करियर 1951 में पीक पर था जब उनकी म्यूजिकल सुपरहिट फिल्म मल्लेश्वरी रिलीज हुई। इस फिल्म में उन्होंने एन.टी. रामाराव के साथ काम किया था। ये फिल्म साउथ सिनेमा की ऑल टाइम कल्ट क्लासिक मानी जाती है।
डायरेक्शन करने वाली पहली महिला थीं भानुमति
1953 में भानुमति डायरेक्टर भी बन गईं। वो इंडिया में फिल्म डायरेक्ट करने वाली पहली महिला हैं। उन्होंने फिल्म चंडीरानी से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया जिसे फिर तमिल, तेलुगु और हिंदी में भी बनाया गया था। इस फिल्म में उन्होंने पहली बार डबल रोल किया था। तेलुगु और तमिल फिल्म में वो एनटी रामाराव के साथ नजर आई थीं जबकि हिंदी फिल्म में भानुमति ने दिलीप कुमार के साथ काम किया था। उन्होंने तीन भाषाओं में एक ही दिन फिल्म रिलीज करने का रिकॉर्ड बनाया था। फिल्म एक साथ 100 थिएटर में रिलीज हुई थी। इसे एवरेज सक्सेस मिली थी।
1962 में जीता नेशनल अवॉर्ड
1962 में भानुमति की तमिल फिल्म अन्ने रिलीज हुई थी जिसमें उनके काम की काफी तारीफ हुई थी। इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। इसके अलावा 1964 में आई अंतस्थुलू और 1966 में रिलीज हुई पल्नती युद्धम के लिए भी उन्हें एक्टिंग के लिए नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था।
भारत के पहले वाइस प्रेसिडेंट सर्वपल्ली राधाकृष्णन भानुमति के फैन थे। तेलुगु सिनेमा की कई बड़ी एक्ट्रेसेस जैसे जमुना, सावित्री आदि भी भानुमति की प्रेरणा से ही फिल्मों में आईं। भानुमति को उनके करीबी ‘Epitome of Self-Respect and Versatility’ कहते थे।
बेहतरीन एक्ट्रेस होने के साथ-साथ वो अच्छी म्यूजिशियन भी थीं। उन्हें हिंदुस्तानी क्लासिकल में महारत हासिल थी। उन्होंने कई फिल्मों में अपने गाने खुद गाए थे और उनमें संगीत भी दिया था। उनके कई गाने आज भी बेहद पॉपुलर हैं।
असिस्टेंट डायरेक्टर से कर ली शादी
भानुमति जब अपनी पहली फिल्म कृष्ण प्रेम की शूटिंग कर रही थीं तो वो बड़ी एक्ट्रेस बन चुकी थीं। इसी दौरान उन्हें फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर से प्यार हो गया। रामकृष्ण नाम के इस असिस्टेंट डायरेक्टर को भानुमति ने प्रपोज कर दिया।
रामकृष्ण भानु के प्रपोजल से घबरा गए। वो इतनी बड़ी एक्ट्रेस थीं जबकि रामकृष्ण फिल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगलिंग फेज में ही थे। काफी घबराते हुए रामकृष्ण ने भानुमति का ऑफर स्वीकार कर लिया। जब ये बात भानुमति के पिता को पता चली तो वो आग बबूला हो गए। उन्होंने भानु को खूब समझाया कि तुम इतनी बड़ी एक्ट्रेस हो और ये मामूली सा असिस्टेंट डायरेक्टर, लेकिन भानुमति नहीं मानीं। उन्होंने 8 अगस्त, 1943 को घर से भागकर रामकृष्ण से शादी कर ली।
शादी के बाद भानुमति ने फैसला किया कि वो फिल्मों में काम नहीं करेंगीं, लेकिन शादी के चंद महीने बाद ही बड़े फिल्ममेकर बी.एन रेड्डी ने उन्हें एक फिल्म का ऑफर दिया। रेड्डी ने गुजारिश की कि वो उनके साथ सिर्फ आखिरी बार इस फिल्म में काम कर लें। इतने बड़े डायरेक्टर की बात न टालते हुए भानुमति ने हामी भर दी।
इस फिल्म का नाम स्वर्गसीमा था जो कि 1945 में रिलीज हुई थी। ये फिल्म उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। भानुमति साउथ की टॉप एक्ट्रेस कही जाने लगीं। इस फिल्म का एक गाना ओहो पावुर्मा काफी पॉपुलर हुआ था जिसे भानुमति ने खुद गाया था। साउथ के टॉप एक्ट्रेस शिवाजी गणेशन ने भानुमति की इस फिल्म की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने सिर्फ उस गाने की वजह से फिल्म 30 बार देखी थी।
स्वर्गसीमा में उन्होंने थिएटर आर्टिस्ट की भूमिका निभाई थी। ये पहला निगेटिव किरदार था जो कि भानुमति ने फिल्मों में निभाया। फिल्म में वह ऐसी महिला बनी थीं जिसका शादीशुदा मर्द से अफेयर रहता है। उनकी अन्य यादगार फिल्मों में चक्रपाणि, लैला मजनू, विप्रनारायण, मल्लिश्वरी, बतासरी और अंतस्थुलू थी। 1945 में भानुमति मां बनीं और एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम भारणी रखा।
तमिल फिल्मों में भी किया काम
तेलुगु फिल्मों में डेब्यू करने के दस साल बाद भानुमति ने 1949 में तमिल फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म रत्नकुमार के जरिए डेब्यू किया। इस फिल्म में उनके हीरो उस जमाने के सुपरस्टार पी.यू. चिनप्पा थे।
भानुमति साउथ की पहली फीमेल स्टार थीं, जिन्हें एक फिल्म के लिए उस दौर में 25,000 रु. की फीस मिलती थी जो कि किसी फिल्म की 50% प्रोडक्शन कॉस्ट होती थी।
भानुमति ने खोला था देश का पहला फिल्म स्टूडियो
भानुमति पहली ऐसी एक्ट्रेस थीं जो फिल्म स्टूडियो की मालकिन बनीं। इसका नाम उन्होंने अपने बेटे के नाम पर ‘भारणी’ रखा। उन्होंने एक प्रोडक्शन हाउस भी खोला जिसके बैनर तले उन्होंने अपने पति रामकृष्ण को बतौर डायरेक्टर ब्रेक दिया जो इससे पहले तक दूसरे फिल्ममेकर्स के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करते थे। इस बैनर के तले भानुमति और उनके पति ने लैला मजनू और विप्रनारायण बनाई थी जिसने नेशनल अवॉर्ड भी जीता था।
बेस्ट राइटर का नेशनल अवॉर्ड जीता
भानु को एक्टिंग, सिंगिंग और डायरेक्शन के अलावा राइटिंग का भी शौक था। उन्हें कॉमेडी शॉर्ट स्टोरीज अट्टागरी कथालू के लिए आंध्र प्रदेश साहित्य अकादमी अवॉर्ड मिला था। उन्होंने 1994 में अपनी ऑटोबायोग्राफी नालो नेनू भी लिखी थी जिसके लिए उन्हें बेस्ट राइटर का नेशनल अवॉर्ड मिला था।
भानुमति ने अपने 60 साल के फिल्मी करियर में 97 फिल्मों में काम किया जिनमें से 58 तेलुगु, 34 तमिल और 5 हिंदी हैं।
एटीट्यूड के लिए थीं मशहूर
भानुमति ने फिल्म इंडस्ट्री में 60 साल बिताए और इस दौरान उनका एटीट्यूड भी काफी चर्चा में रहा। एक बार रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि आप तेलुगु सिनेमा के टॉप मेल सुपरस्टार्स के साथ काम करती हैं, आपको उनके साथ काम करना कैसा लगता है? भानुमति ने इसका जवाब देते हुए कहा था- मैं उनके साथ काम नहीं करती बल्कि वो मेरे साथ काम करते हैं, आपको ये सवाल उन मेल सुपरस्टार्स से पूछना चाहिए कि उन्हें मेरे साथ काम करके कैसा लगता है।
दूसरा किस्सा तब का है जब एक बार किसी रिपोर्टर ने उनसे पूछा था कि आप नए जमाने में किस अभिनेत्री को अपनी उत्तराधिकारी के तौर पर देखती हैं? भानुमति ने इसके जवाब में कहा था कि कोई भी एक्ट्रेस उनके बराबर का टैलेंट नहीं रखती और वो किसी को भी इस लायक नहीं मानती हैं।
तीसरा किस्सा फिल्म चक्रपाणि से जुड़ा है जिसे भानुमति ने खुद प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म के डायरेक्टर का नाम भी चक्रपाणि था, जिनसे भानुमति की शूटिंग के दौरान काफी अनबन हुई थी। इस वजह से भानुमति ने काफी शूटिंग करने के बावजूद फिल्म छोड़ दी थी।
उन्होंने फिल्म की इतनी शूटिंग कर ली थी जिससे उनका 40% स्क्रीन टाइम कवर हो जाता। इसके बावजूद भानुमति ने फिल्म में काम नहीं किया। इसके बाद साउथ इंडियन एक्ट्रेस सावित्री को उनकी जगह फिल्म में लिया गया और फिल्म फिर से बनाई गई। सावित्री को इस फिल्म से काफी सक्सेस मिली थी।
चौथा किस्सा है 1964 में आई अंतस्थुलू का। इस फिल्म के डायरेक्टर वीबी राजेंद्र प्रसाद ने जब भानुमति को अक्किनेनी नागेश्वर राव की बहन का रोल ऑफर किया तो वो खुशी-खुशी तैयार हो गईं। फिल्म की शूटिंग हैदराबाद में थी तो क्रू और भानुमति के लिए फाइव स्टार होटल रिट्ज कार्लटन को बुक करने की बात चली। भानुमति ने इससे इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि वो उसी सारथी स्टूडियो में सो जाएंगी जहां फिल्म की शूटिंग चलेगी। ये स्टूडियो काफी हरा-भरा था और यहां सांप बहुत थे। जब अगले दिन भानुमति सोकर उठीं तो उनके नाखूनों को चूहों ने कुतर दिया था। डायरेक्टर वीबी राजेंद्र प्रसाद ने तुरंत शूटिंग रोकने की बात कही, लेकिन भानुमति ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, अगर आप इतनी छोटी-छोटी बातों के लिए शूटिंग कैंसिल कर देंगे तो एक एक्ट्रेस के तौर पर मेरी छवि का क्या होगा?
1966 में मिला पद्मश्री
भानुमति 1966 में पद्मश्री पाने वाली पहली साउथ इंडियन एक्ट्रेस थीं। 2003 में उन्हें सिनेमा में अपने योगदान के लिए पद्मभूषण भी मिला था। 30वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में उन्हें ‘वुमन इन सिनेमा’ की उपाधि दी गई थी।2013 में पोस्टल डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया ने सिनेमा के 100 साल पूरे होने पर उन पर 5 रुपए का डाक टिकट भी जारी किया था। 24 दिसंबर 2005 को 80 साल की उम्र में भानुमति का चेन्नई में निधन हो गया था।