उदयपुर, 13 मार्च (ब्यूरो)। अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति के तत्वावधान नगर निगम, आलोक संस्थान व सर्व समाज, संगठन के साथ हर साल की तरह होने वाले चैत्र प्रतिपदा नवसम्वत्सर के कार्यक्रमों की गति 14 मार्च से बढ़ जाएगी। इसके तहत विविध आयोजन होंगे जिनमें उदयपुर शहर के अलग-अलग स्थानों पर स्थानीय जागरूक नागरिकों को विक्रम गौरव सम्मान प्रदान किया जाएगा। पिछोला झील के गणगौर घाट पर 21 मार्च को विदा 2079 के कार्यक्रम में बनारस की गंगा आरती सा दृश्य रखने की तैयारी की गई है। इस दौरान शहर में आ रहे जी-20 के मेहमानों को भी यह अनुपम दृश्य का अवलोकन कराने के लिए प्रशासन से आग्रह किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 21 से 23 मार्च तक उदयपुर में जी-20 सदस्यों की बैठक हो रही है।
अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमावत ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति 40 वर्षों से उदयपुर में नववर्ष के आयोजनों से जनचेतना का काम कर रही है। उससे प्रेरित होकर पूरे विश्व में भारतीय नववर्ष को उत्साह के साथ भारतीय समाज द्वारा मनाया जाने लगा है। उन्होंने कहा कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है जिसे खड़ा करने में आलोक संस्थान के संस्थापक स्व. श्यामलाल कुमावत का बड़ा योगदान रहा। उनका लक्ष्य है कि जन-जन चैत्र नववर्ष को इस तरह मनाये जिस तरह होली और दीपावली मनाई जाती है।
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा लिखित पुस्तक सम्राट विक्रमादित्य भारतीय कालगणना की वैज्ञानिकता का विमोचन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रविवार को उदयपुर में एक समारोह में किया।
डॉ. कुमावत ने बताया कि लोगों को विरासत से जोड़ने की दृष्टि से विक्रम विरासत परिक्रमा का आयोजन किया जाएगा जिसमें महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा को शहर में भ्रमण कराया जाएगा। उदयपुर की विरासत से देहलीगेट, हाथीपोल, उदियापोल, सूरजपोल, किशनपोल और चांदपोल चौराहों पर प्रतिमा को दर्शनार्थ रखा जाएगा। वहीं पर समाज के प्रतिष्ठित लोगों को विक्रमादित्य गौरव सम्मान प्रदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम 14 मार्च को चांदपोल पर सायंकाल 5.30 बजे, 15 मार्च को देहलीगेट पर सायं 5.30 बजे, इसी दिन हाथीपोल पर सायंकाल 7 बजे, 16 मार्च को उदियापोल पर सायं 5.30 बजे, किशनपोल पर 17 मार्च को सायंकाल 5. 30 बजे होगा।
समिति के जिलाध्यक्ष केके कुमावत ने बताया विक्रमोत्सव के तहत ही मेवाड़ के संत-महंतों का समागम 18 मार्च को सायंकाल 6. 30 बजे आलोक हिरण मगरी स्थित श्रीराम मंदिर में होगा। वहां हनुमान चालीसा का पाठ होगा तथा उदयपुर में चल रहे मंदिर चलो अभियान के कार्यक्रम को भी इसी कार्यक्रम से जोड़ा गया जिसमें भक्तगण आकर हनुमान चालीसा और रामभक्त हनुमान की आरती करेंगे।
समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी कमलेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि 19 मार्च को सूरजपोल चौराहे पर सायं 5.30 बजे भारतमाता पूजन व महाआरती होगी। इसमें बजरंग सेना का सहयोग रहेगा।
पगड़ी सजाओ कार्यक्रम के संयोजक निश्चय कुमावत ने बताया कि 20 मार्च को अपना देश-अपना वेश, पगड़ी सजाओ कार्यक्रम होंगे। इसमें कत्थक आश्रम द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी जाएगी। साथ ही बच्चों व बड़ों के लिए परम्परागत परिधानों वाली रैम्प वॉक का आयोजन किया जाएगा।
इस सम्वत 2079 को विदाई 21 मार्च को दी जाएगी। इस दिन एकलिंगजी से विक्रमादित्य संस्कृति चेतना यात्रा निकलेगी। यह पिछोला के गणगौर घाट तक पूरे मार्ग में लोगों को पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संरक्षण के संदेश देते हुए आगे बढ़ेगी। अयोध्या की माटी का पूजन व सात नदियों का जल कलश में स्थापित किया जाएगा। गणगौर घाट पर पिछोला झील पूजन व आरती होगी।
शशांक टांक ने बताया कि समिति एवं नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में 22 मार्च को दूधतलाई पर नव सम्वत्सर 2080 का आतिशी स्वागत किया जाएगा। कोरोनाकाल के कारण पिछले दो वर्षों से बन्द आतिशबाजी का कार्यक्रम इस वर्ष से पुनः शुरू होगा। इसी दिन प्रातः वेला में आलोक संस्थान के 3000 छात्र-छात्राएं विभिन्न चौराहों पर खड़े होकर शहरवासियों को शुभकामना संदेश देंगे तथा अयोध्या की माटी और कुमकुम का तिलक कर मिश्री, कालीमिर्च व नीम की कौंपल का परम्परागत प्रसाद बांटेंगे। सायंकाल दूधतलाई पर आतिशबाजी से पहले पाला गणेशजी से दूधतलाई तक चेती एकम की सवारी निकाली जाएगी। समिति ने शहरवासियों से नवसम्वत्सर पर घरों में पांच दीपक अवश्य प्रज्वलित करने का आग्रह किया है।
विक्रम उत्सव की तैयारियों के तहत शिवसिंह सोलंकी, भूपेन्द्रसिंह भाटी, प्रतीक कुमावत, मनीष तिवारी, प्रशांत व्यास सहित विभिन्न समाजों संगठनों के प्रबुद्धजन सक्रियता से जुटे हुए हैं।