जयपुर, 28 फरवरी। राजस्थान हाईकोर्ट ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग को लेकर बीते एक सप्ताह से अधिक समय से वकीलों की ओर से किए जा रहे न्यायिक बहिष्कार को लेकर बार कौंसिल ऑफ इंडिया सहित अन्य से दो मार्च तक जवाब मांगा है। एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा सहित अन्य वकील हाजिर हुए।
महाधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट बार ने उन्हें पत्र लिखकर अदालत में पैरवी नहीं करने की बात कही है। इसके अलावा आज सुबह भी वकीलों ने उन्हें अदालत में नहीं जाने को कहा। वहीं जोधपुर में भी वकील पूरी तरह न्यायिक बहिष्कार कर रहे हैं।
इसका विरोध करते हुए प्रहलाद शर्मा ने कहा कि महाधिवक्ता प्रदेश के अधिवक्ताओं की मुखिया की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में उन्हें एसोसिएशन के समर्थन में आकर कोर्ट में पैरवी नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही वे अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की कह सकते हैं। जबकि उनकी ओर से अदालत में पेश होकर पैरवी की जा रही है।
दूसरी ओर बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से अधिवक्ता सीएल सैनी ने कहा कि गत 25 फरवरी को कौंसिल की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें तय किया गया कि सभी बार संघों को न्यायिक बहिष्कार वापस लेने के लिए कहा जाएगा और एक्ट लागू कराने के लिए कमेटी गठित की जाएगी। अदालत के सामने यह भी तथ्य रखा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार वकील हड़ताल नहीं कर सकते हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बीसीआई व अन्य को मामले में जवाब पेश करने को कहा है।
वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट सहित अधीनस्थ अदालतों में वकीलों ने अपना न्यायिक बहिष्कार जारी रखा। इस दौरान अदालत परिसर में वकीलों ने सुंदरकांड के पाठ किए। इसके अलावा राज्य के विधि एवं विधिक कार्य विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वकीलों के न्यायिक बहिष्कार को देखते हुए विभाग की ओर से नियुक्ति प्रभारियों को अदालतों में पैरवी के लिए भेजा जाए।