भ्रष्टाचारी भाजपा पार्षद वालिया को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

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हाईकोर्ट में चार सप्ताह बाद फिर होगी पेशी
अजमेर, 9 मार्च (ब्यूरो): नगर निगम के भाजपा पार्षद वीरेंद्र वालिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। हाईकोर्ट में वालिया की ओर से जमानत के लिए पेश की गई अर्जी पर हाईकोर्ट जमानत नहीं देते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की तारीख दी है। भाजपा पार्षद वीरेन्द्र वालिया को भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी से भी निलंबित कर दिया है। प्रदेश संगठन ने वालिया से 15 दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।
यह है मामला

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अजमेर की टीम ने 14 फरवरी को नगर निगम के भाजपा के पार्षद वीरेंद्र वालिया और दलाल को 20 हजार की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया था। रिश्वत राशि के साथ पकड़े जाने के बाद एसीबी ने पूरी कार्रवाई को क्रिश्चियन गंज थाने में अंजाम दिया। आरोपी पार्षद के द्वारा मकान मालिकों को मकान बनाने की एवज में डरा धमका कर 40 हजार रुपए की डिमांड की गई थी, जिसके बाद पीडि़त एसीबी के पास पहुंचा और इसकी शिकायत की थी।

वालिया की अवैध कमाई की लंबी है फहरिस्त
निलंबित पार्षद वालिया की अवैध कमाई लंबी फहरिस्त है, प्रमुख रूप से वार्ड 79 में नाडी के पास सरकारी 4.5 बीघा भूमि पर निगम के खाते से सडक़ बनवा कर बेच दी, काकू की होटल के पास नाले पर पांच दुकाने अजय सिंह के साथ मिलकर बनाई। चोरसियावास रोड पर खसरा नंबर 2252 थोक तेलियान झूलेलाल मंदिर के पहले आवासीय स्वीकृत नक्शे में सेटबैक में 12 से अधिक दुकाने बनाई (अमित वालिया के नाम का बोर्ड लगा हुआ है) इसकी शिकायत संपर्क पोर्टल पर 10 जनवरी को की गई, जिसकी आरटीआई भी लगी है। पेट्रोल पंप के पीछे मैन मानसरोवर कॉलोनी वाले मुख्य रोड पर आनंदम के पहले एक 400 गज का बंगला, पंचशील योजना में 400 गज के दो प्लाट बी-499 ओर बी-500, माकड़वाली में लॉरेंस एंड मेयो के पीछे 58 बीघा पाटर्नरशिप में जमीन, माकड़वाली रोड पर वृंदावन स्कूल के सामने दो व्यवसायिक दुकानों का निर्माण इसके द्वारा किया जा रहा है। एडीए ने जो चारं मंजिल व्यवसायिक जगह को तोड़ा गया, उसको पहले एडीए ने ही सीज किया था। लायंस क्लब के सामने नगर निगम से अवैध रूप से आठ हजार गज जमीन का आवंटन हाई कोर्ट में लंबित चल रहा है, वार्ड 79 में राम मंदिर के सामने वफ्फ बोर्ड की 900 वर्ग गज जमीन पर कब्जा एवं दुकानों का निर्माण, अभियंता नगर इसके घर के पहले 300 गज का प्लाट जिस पर इनकी पां कारे खड़ी रहती है। कृषि भूमि को बगैर आवासीय भूमि के रूप में बनाए भूखंड।

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