जयपुर, 25 मार्च (ब्यूरो): इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की मांग पर एक बार फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय संकट हावी हो गया है और उनकी मांग पीछे छूट गई है।
प्रदेश में दो दिन पहले तक सचिन पायलट और उनके समर्थकों की ओर से विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग को लेकर राजनीति गर्माई हुई थी। उनके समर्थक 25 सितंबर की घटना के लिए दोषी नेताओं पर कार्रवाई की मांग भी उठा रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस का पूरा ध्यान राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद््द होने से पैदा हुए संकट पर चला गया है और बाकी सारे मुद्दे पीछे छूट गए हैं। कांगे्रस का पूरा राष्ट्रीय नेतृृत्व इस समय इस संकट से जूझने के उपाय में जुटा है और इस बार यह लड़ाई लम्बी चलती दिख रही है। ऐसे में बाकी सारे मुद्दे गौण हो गए हैं। अब कांग्रेस का पहला टार्गेट केन्द्र सरकार और भाजपा है और पूरा ध्यान इस बात पर है कि राहुल गांधी के साथ जो कुछ हुआ है, उस पर कैसे एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा किया जाए।
ऐसे में अब पायलट ने पिछले दिनों विधायक दल की बैठक बुलाने की जो मांग उठाई थी, उस पर अब निकट भविष्य में कुछ होता दिख नहीं रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर कोई संकट की स्थिति हो तो राज्यों के मुद्दे पर कुछ नहीं हो सकता और कोई इसकी मांग भी नहीं उठा सकता। ऐसे में पायलट गुट अपनी मांग से जो माहौल बनाना चाहता था, उस पर अभी जल्द कुछ होगा इसकी संभावना नहीं के बराबर है।
इससे पहले भी ऐसा हुआ है कि जब भी पायलट ने पार्टी में उनके उठाए मुद्दों पर कार्रवाई करने की मांग उठाई तो कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर कोई संकट आ गया, जैसे कि नेशनल हेराल्ड वाला मामला हुआ, इसके बाद ईडी से पूछताछ हो गई, फिर राहुल गांधी की यात्रा शुरू। ऐसे में संयोग यह रहा कि पायलट या उनके गुट ने जब भी कोई मांग उठाई तो वह किसी ने किसी बहाने से टलती चली गई।