दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को चार मार्च तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रद्द कर दी गई आबकारी नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में रविवार को गिरफ्तार किया था। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सिसोदिया से पूछताछ के लिए सीबीआई की पांच दिन की हिरासत की मांग को स्वीकार कर लिया। सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन ने कहा कि वह जांच में एजेंसी के साथ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया, “कोई ऐसा कुछ कहने को तैयार नहीं है जिसे आप सुनना चाहते हैं, रिमांड के लिए कोई आधार नहीं है।”कृष्णन ने यह भी कहा कि रिमांड एक खाली औपचारिकता नहीं है और अदालत को अपना दिमाग लगाने और यह देखने की जरूरत है कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा सीआरपीसी की धारा 41 और धारा 41ए के आदेश का पालन किया गया है या नहीं।सिसोदिया की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मोहित माथुर ने कहा, “एलजी द्वारा सुझाव दिए गए थे। पॉलिसी लागू होने से पहले उन्हें शामिल किया गया था। इसके लिए चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता थी। जब चर्चा और विचार-विमर्श होता है तो साजिश के लिए कोई जगह नहीं होती है।”
सिसोदिया का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि मंत्री को बजट पेश करना है। अग्रवाल ने कहा, “यह मामला एक व्यक्ति के साथ-साथ संस्था पर भी हमला है। रिमांड एक संदेश भेजेगा … रिमांड कम करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है।” सिसोदिया को 8 घंटे से ज्यादा की पूछताछ के बाद रविवार को गिरफ्तार किया गया था। एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया। जांच एजेंसी का मामला है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं।