फाइनेंशियल ईयर का आखिरी माह चल रहा है और इन दिनों जयपुर शहर में नगरीय विकास कर (यूडीटैक्स) की वसूली कुर्की होनी शुरू हो गई। एक लाख से बड़े सॉफ्ट बकायादारों को टारगेट करते हुए उनसे वसूली के लिए निगम के अधिकारियों ने अभियान शुरू कर दिया है। लेकिन नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर दोनों के रिकॉर्ड को देखे तो जयपुर में 1.33 लाख ऐसी प्राइवेट प्रोपर्टियां है, जिनसे 700 करोड़ रुपए का टैक्स वसूलना है।
जयपुर शहर में सफाई, विकास के काम नहीं होने के पीछे दोनों ही नगर निगम आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते है। शहर में सड़कों के निर्माण के लिए दोनों ही निगमों को सरकार या जेडीए, पीडब्ल्यूडी पर निर्भर रहना पड़ता है। आज दोनों ही नगर निगम में ढाई हजार से ज्यादा कर्मचारियों-अधिकारियों की टीम है, लेकिन ये टीम न तो टैक्स वसूल पा रही और न ही शहर में विकास के काम करवा पा रही।
आखिरी समय में होती है वसूली
यूडीटैक्स की वसूली भी निगम की ओर से हमेशा फाइनेंशियल ईयर के आखिरी दो महीने में की जाती है। इससे पहले 10 महीने तक निगम की टीम टैक्स वसूली में कोई खास प्रयास नहीं करती। दोनों नगर निगम की स्थिति देखे तो 30 ऐसी सम्पत्तियां है, जिन पर करीब 110 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स बकाया है। हालांकि इसमें ज्यादातर सम्पत्तियां सरकारी है।
19 संपत्तियों पर 84 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया
जयपुर नगर निगम ग्रेटर की बात करें तो यहां प्राइवेट और गर्वमेंट सेक्टर की 19 बड़ी ऐसी सम्पत्तियां है, जिन पर 84.65 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है। इसमें अकेले जयपुर एयरपोर्ट ही 19.17 करोड़ का टैक्स बकाया चल रहा है, जिसे पिछले दिनों नगर िनगम की ओर से डिमांड नोटिस भी जारी किया है। इसी तरह सवाई मानसिंह स्टेडियम का ही 7.38 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स बकाया है।
11 प्रोपर्टी का 29 करोड़ रुपए बकाया
इसी तरह नगर निगम हैरिटेज में भी 11 ऐसी बड़ी प्रोपर्टियां है, जिनसे 29.92 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स बकाया है। इनमें ज्यादातर सम्पत्तियां सरकारी है।
सिविल लाईन्स स्थित सुखम मैरिज गार्डन पर ही 1.32 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है। इसी तरह महाराजा सवाई मानसिंह म्यूजियम ट्रस्ट को नगर निगम हैरिटेज को 1.39 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स देना है।