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जयपुर, 14 मार्च (ब्यूरो): राज्य विधानसभा में मंगलवार को कृषि और पशुपालन विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने डूंगरपुर जिले में सरकार की ओर से नि:शुल्क दिए जा रहे बकरों का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग की कई योजनाएं ट्रस्ट और एनजीओ के माध्यम से चलती हैं। यही एनजीओ सरकार की योजना किसानों तक पहुंचाते हैं, लेकिन मैंने 4 साल का आंकड़ा निकाला तो सिरोही नस्ल के बकरे जो एनजीओ के जरिए पशुपालकों को देने का प्रावधान किया गया वो सिरोही किस्म के बकरे साल 19-20 से लेकर अब तक डूंगरपुर के आधा दर्जन गांव में कहने को तो पशुपालकों को दिए गए, लेकिन हकीकत ये है कि ये बकरे किसी राजनेता की पार्टी की बलि चढ़ गए।
रोत ने कहा कि यह बकरे पशुपालकों को नहीं मिले और प्रभुत्व वाले लोगों तक पहुंच गए। रोत ने सरकार से इस मामले में जांच की मांग करते हुए कहा कि आज दुनिया में वे बकरे हैं या किसी पार्टी के राजनेता की पार्टी की बलि चढ़ गए। वे कौन सी पार्टी के नेता हैं जिनके पार्टी का हिस्सा वह बकरे बन चुके हैं। इस पर विधानसभा में सभी हंसने लगे और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने खड़े होकर कहा कि मुझे पता है कि आप भी उस पार्टी में गए थे।
रोत ने यह भी कहा कि जब वह कंपटीशन एग्जाम की तैयारी करते थे उस समय यह कहा जाता था कि डूंगरपुर राजस्थान का वह पहला जैविक जिला है। यह जैविक जिला केवल कागजों में बनकर रह गया है। इसे बचाने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है।