जोधपुर। होली पर्व के आठ दिन पहले फाल्गुन शुक्ला अष्टमी यानी सोमवार से होलाष्टक शुरू हो गए। इसके साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। होलाष्टक के दौरान गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई, नया व्यापार, नया सौदा, मकान निर्माण, जमीन जायदाद का सौदा सहित सोलह प्रकार के संस्कार इस अवधि में वर्जित रहेंगे। सभी शुभ मांगलिक कार्य होलिका दहन के बाद वापस शुरू होंगे।
इस साल छह मार्च को होलिका दहन होगा। इससे पहले आज से होलाष्टक प्रारंभ हो गए। होलाष्टक के दौरान सभी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य पूरी तरह से वर्जित बताए गए हैं लेकिन भगवान की भक्ति, पूजा-आराधना, मंत्र साधना करने की कोई मनाही नहीं है। सनातन धर्म में होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। सनातन धर्म में सोलह संस्कार विधि होती है और इनमें शुभ कार्य होलाष्टक में वर्जित हैं जिनमें नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस वक्त भगवान के प्रिय भक्तों पर राक्षसी प्रवृत्तियां हावी हो जाती हैं, जैसे भक्त प्रह्लाद के साथ हुआ जिसके होने के चलते भक्तों को खूब कष्ट होता है इसलिए इस समय को शुभ नहीं माना जाता है और शुभ कर्म की मनाही होती है। होलाष्टक के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है लेकिन भगवान की भक्ति पूजा आराधना में किसी प्रकार की कोई मनाही नहीं है। इस दौरान खासतौर से साधना करने का भी महत्व है और होलिका दहन के वक्त जिस जगह पर होलिका दहन हो रहा है उसके आसपास मंत्र जाप करने से भी फल मिलता है। अपने इष्ट देव की आराधना करने से इस वक्त माहौल में आई नकारात्मकता दूर होती है और इसका शुभ फल मिलता है।
इस बार प्रदोष वेला में होगा होलिका दहन
होलिका दहन नियम के अनुसार भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में किया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी छह मार्च सोमवार को प्रदोष व्यापिनी प्रवेश कर रही है। सोमवार 6 मार्च को शाम 4.17 से दूसरे दिन मंगलवार 7 मार्च को सुबह 5.15 तक भद्रा भी रहेगी। ज्योतिषियों की माने तो पूर्वी भारत को छोड़कर समस्त भारत में होलिका दहन 6 मार्च को होगा और धुलंडी व रामाश्यामा 7 मार्च को होगा। ज्योतिषियों के अनुसार होलिका दहन सोमवार 6 मार्च को गोधूलि वेला में किया जाएगा, जिसका सर्वश्रेष्ठ समय शाम 6.30 से 6.50 तक का रहेगा। वहीं होलिका दहन चर का चोघडिय़ा शाम 6.38 से रात्रि 8.10 तक रहेगा। व्रतराज के नियम के अनुसार फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी सोमवार 6 मार्च को प्रदोषकाल शाम 6.38 से रात्रि 9.06 तक है। अत: होलिका दहन गोधूलि वेला में शाम 6.30 से 6.50 तक तथा चर के चौघडिय़ा में शाम 6.38 से रात्रि 8.10 तक शुभ रहेगा।
2023-02-27