सलूम्बर को जिला बनाने का सराड़ा में विरोध, सीएम का पुतला फूंका

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ग्रामीणों ने कहा—रियासत काल में जिला रहे सराड़ा की की उपेक्षा

उदयपुर,18 मार्च(ब्यूरो)। राज्य में बनाए गए 19 नए जिलों में उदयपुर जिले का सलूम्बर भी शामिल है। इसके विरोध में शनिवार को सराड़ावासी उतर आए। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा का पुतला फूंका। ग्रामीणों का कहना है कि रियासत काल में जिला रहे सराड़ा की मुख्यमंत्री ने उपेक्षा की। जबकि सराड़ा के लोग पिछले दो दशक से जिला बनाए जाने को लेकर आंदोलनरत हैं।
सलूम्बर को जिला बनाए जाने के विरोध में ग्रामीणों ने सराड़ा बस स्टैण्ड पर प्रदर्शन किया। उन्होंने सीएम अशोक गहलोत तथा आदिवासी नेता रघुवीर सिंह मीणा के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राजनीतिक कारणों के चलते सराड़ा विधानसभा सीट खत्म कर दी गई और अब सराड़ा की जगह सलूम्बर को जिला बनाया गया। जिला बनाओ संघर्ष समिति के मुकेश शर्मा का कहना है कि शनिवार को संपूर्ण सराड़ा क्षेत्र में पूर्ण बंद रहा और चक्का जाम प्रदर्शन किया गया।

1952 तक सराड़ा था जिला
प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा के नेताओं पर ग्रामीणों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि आजादी के बाद 1952 तक सराड़ा तब मंगरा कहलाता था जिला हुआ करता था। 1962 में उदयपुर दरबार के हाकिम यहां बैठा करते थे उसे हटाकर उदयपुर जिले में मिला दिया गया और सराड़ा को उपखंड का दर्जा दे दिया गया था। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस विधायक सोहनलाल पुरोहित ने इसे सराड़ा से हटाकर सलूम्बर को उपखंड करवा दिया। साल 2003 तक सराड़ा विधानसभा रहा लेकिन राजनीतिक छलावे के तहत इसे हटाते हुए सलूम्बर में मिला दिया गया। साल 2008 में सलूम्बर विधानसभा के नाम ही यहां चुनाव हुए। शुक्रवार को मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद जिले की उम्मीद भी टूट गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सराड़ा की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो क्षेत्र के सभी पंच—सरपंच इस्तीफा देकर प्रदर्शन जारी रखेंगे।

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